बिहार सरकार ने कोराना वायरस के बढ़ते संक्रमण से आमलोगों की सुरक्षा के लिए 31 मार्च तक राज्य में लॉकडाउन का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज यहां कहा कि कोरोना संकट को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से 31 मार्च 2020 तक सभी जिला मुख्यालयों, अनुमंडल मुख्यालयों, प्रखंड मुख्यालयों एवं सभी नगर निकायों के लॉकडाउन का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि इस दौरान अनिवार्य एवं आवश्यक सेवाएं बहाल रहेंगी।
मुख्यमंत्री श्री कुमार ने कहा, ‘‘कोराना वायरस से पूरी मानव जाति संकट में है। हम सब इस महामारी का डटकर मुकाबला कर रहे हैं। आवश्यक सावधानियां भी बरती जा रही है लेकिन इस बीमारी की गंभीरता को देखते हुए प्रत्येक व्यक्ति को सचेत रहना नितांत आवश्यक है। इसका सबसे अच्छा उपाय सोशल डिस्टेंसिंग है।’’
श्री कुमार ने कहा कि राज्य में 31 मार्च तक लॉकडाउन की अवधि में निजी प्रतिष्ठानों, निजी कार्यालयों, सार्वजनिक परिवहन को पूर्णत: बंद किया गया है लेकिन आवश्यक एवं अनिवार्य सेवाओं से संबंधित प्रतिष्ठानों को इस आदेश की परिधि से बाहर रखा गया है। उन्होंने बताया कि इस दौरान चिकित्सा सेवा, दूरसंचार सेवा, खाद्यान्न एवं किराने की दुकान, दवा दुकान, फल-सब्जी की दुकानें, डेयरी एवं इससे संबंधित प्रतिष्ठान, रसोई गैस एजेंसी, पेट्रोल पंप एवं सीएनजी स्टेशन, बैंकिंग एवं एटीएम, डाकघर एंव कुरियर सेवा, ई-कॉमर्स सेवाएं तथा पि्रंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इस आदेश से प्रभावित नहीं होंगे।
इस अवधि में मालवाहक वाहन, एंबुलेंस, आवश्यक एवं आपातकालीन सेवाओं से संबंधित वाहनों के परिचालन की अनुमति होगी। साथ ही सरकारी कार्यों में लगे वाहनों के परिचालन को इस आदेश की परिधि से बाहर रखा गया है।
मुख्यमंत्री ने बिहारवासियों से अपील करते हुए कहा, ‘‘कोरोना संक्रमण के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से चलाई जा रही मुहिम में वे अपना पूरा सहयोग दें। जब भी संकट का समय आया है तो हमने सभी लोगों के सहयोग से उस पर विजय पाई है। संकट की इस घड़ में सरकार सभी लोगों के साथ है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि हम सब साथ मिलकर इस चुनौती का सफलतापूर्वक सामना करने में सक्षम होंगे।’’
श्री कुमार ने कहा, ‘‘मैं सब लोगों से यही अपील करूंगा कि आप सब लोग अपने घर के अंदर रहें, इधर-उधर अनावश्यक आने-जाने की जरूरत नहीं है। इन सब चीजों से संबंधित सारे मामले की जानकारी दी जा रही है। समाचार पत्रों के माध्यम से भी जानकारी दी जा रही है। इन सब चीजों का ख्याल रखें और हम सब मिलकर इस परिस्थिति का मुकाबला कर सकते हैं और हम इसमें अवश्य कामयाब होंगे।’’
गौरतलब है कि बिहार में कोरोना वायरस से संक्रमित एक युवक की मौत हो गई है। मुंगेर जिले का रहने वाला सैफ अली (38) हाल ही में कतर से आया था और पटना के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में किडनी रोग का इलाज करवा रहा था, जहां उसका लगातार डायलिसिस भी किया जा रहा था। मृत्यु के बाद उसके कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई। इसके अलावा पटना के रहने वाले एक अन्य कोरोना संक्रमित मरीज की भी पहचान हुई है जिसका इलाज नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एनएमसीएच) में चल रहा है।
बिहार सरकार इससे पूर्व 17 मार्च 2020 को नोवेल कोरोना वायरस को महामारी घोषित कर चुकी है। सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने, जांच और इलाज में सहयोग नहीं करने वालों पर सामाजिक हित में कानूनी कार्रवाई करने तथा इसके लिए प्रशासन को व्यापक अधिकार देने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग की अनुशंसा पर राज्य में ‘एपिडेमिक डिजीज, कोविड-19, नियमावली 2020’ को तत्काल प्रभाव से लागू किया है।
नियमावली के तहत राज्य के सभी सरकारी एवं गैर सरकारी अस्पतालों को संदिग्ध की स्क्रीनिंग के समय यदि उसने कोविड-19 (कोरोना वायरस डिजीज, 2019) के संक्रमण से प्रभावित देशों की यात्रा की है या वे वहां से आए हैं का रिकॉर्ड रखना होगा। यदि उक्त संदिग्ध के पिछले 14 दिनों के रिकॉर्ड से उसके ऐसे देशों में आने या जाने की पुष्टि होती है तो उसे उसके आवास में 14 दिनों तक निगरानी में रखा जाएगा। यदि पिछले दिनों के रिकॉर्ड से यह पता चले कि संबंधित व्यक्ति ने 29 फरवरी 2020 के बाद कोरोना वायरस से संक्रमित देश की यात्रा की है या वैसे देश से यहां आए हैं और उनमें संक्रमण के लक्षण दिखाई देते हैं तो उन्हें तय मानकों के अनुरूप अस्पताल में बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में रखा जाएगा। इससे संबंधित सभी सूचनाएं जिले के सिविल सर्जन को दी जाएगी।
जिलाधिकारी को अधिकार दिया गया है कि वे किसी भी गांव, प्रखंड, नगर, वार्ड, कॉलोनी या किसी भी भौगोलिक क्षेत्र में किसी व्यक्ति के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की सूचना मिले तो वह तत्काल कार्रवाई कर सकते है। वे उन क्षेत्रों में स्थित स्कूल, कार्यालय को बंद कर सकते है और भीड़ के एकत्र होने पर रोक लगा सकते हैं। जिलाधिकारी संबंधित क्षेत्र में वाहनों के परिचालन पर भी रोक लगा सकते हैं। सभी संदिग्ध मरीजों को अस्पताल में आइसोलेशन के लिए भर्ती किया जा सकता है। उन इलाकों में किसी भी सरकारी विभाग के कर्मी को ड्यूटी में राहत दी जा सकती है।
बिहार में कोरोना वायरस को लेकर गलत नीयत से इलेक्ट्रॉनिक, पि्रंट या सोशल मीडिया के माध्यम से अफवाह फैलाने वाले किसी भी व्यक्ति, संस्थान या संगठन पर कार्रवाई की जा सकती है। इसलिए, नियमावली में लोगों को सलाह दी गयी है कि वे ऐसे किसी कार्य में शामिल न हों अन्यथा उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। नियमावली में कहा गया है कि राज्य के किसी भी निजी लेबोरेट्री को कोविड-19 से संक्रमित होने की आशंका वाले व्यक्ति के रक्त के नमूने की जांच का अधिकार नहीं होगा।
रक्त के नमूने की जांच का अधिकार संबंधित जिले के सिविल सर्जन के जरिये अधिकृत अस्पताल के नोडल पदाधिकारी द्वारा अधिकृत लैब को होगा। ये लैब केंद, सरकार की ओर से तय किए मानकों के अनुरूप ही खून का सैंपल संग्रहित कर सकेंगे। इस नियमावली के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति, संस्थान या संगठन के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव एवं संबंधित जिलाधिकारी भारतीय दंड विधान की धारा 188 के तहत विधिक कार्रवाई कर सकते हैं।
इसके अलावा बिहार सरकार कोरोना वायरस के संभावित संक्रमण से बचाव के लिए एहतियात के तौर पर शनिवार से सभी रेस्त्रां, होटल और विवाह भवन को 31 मार्च तक बंद करने का निर्देश दिया वहीं पटना सिटी सिर्विसेज की बसों के साथ ही अंतर्राज्यीय बसों के परिचालन पर भी रोक लगा दी है।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि 21 मार्च से लेकर 31 मार्च 2020 तक राज्य के सभी रेस्त्रां, होटल एवं विवाह भवन बंद रहेंगे। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। वहीं, 31 मार्च तक सरकारी, निजी, सिटी सर्विसेज बसों का परिचालन नहीं किया जाएगा। स्थिति सामान्य होने के बाद समीक्षा की जाएगी और इसके बाद बसों का परिचालन शुरू करने का निर्णय लिया जाएगा। इस आदेश के तहत पटना-दिल्ली-पटना के बीच चलने वाली वॉलवो बसों के परिचालन पर भी इस अवधि में रोक लागू रहेगी। पूर्व में पटना से काठमांडू और जनकरपुर के लिए चलने वाली बसों को भी बंद किया जा चुका है।