हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता श्याम सुन्दर शरण ने संसद के नहीं चलने पर मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि संसद सत्र को नियमित चलाना सरकार की जिम्मेदारी होती है। किसी सांसद के बयान को लेकर सरकार ही संसद को ठप्प कर देगी तो आखिर लोकतंत्र में कहाँ बातें होंगी सड़क पर ? प्रधानमंत्री को इसपर विचार करना होगा कि आखिर सदन को सड़क बनने कैसे रोका जाय । अगर राहुल गाँधी ने कुछ भी ऐसा बोला है जिससे देश की गरिमा को ठेस पहुँची है तो उस पर सरकार बात करने से पीछे क्यूँ हट रही है ? क्यूँ नहीं राहुल गाँधी को संसद में ही अपनी बात रखने का या सफाई देने का मौका दे रही है । देश में संविधान है, क़ानून है, कोर्ट है, तो अगर लगता है कि उन्होंने गलत किया है तो फिर विधिसम्मत जो भी कार्रवाई हो करें । परन्तु वह नहीं करके संसद को ठप्प करवाकर आखिर क्या हासिल होगा । ऐसा लगता है इसकी आड़ में अडानी मामले को दबाना चाहते हैं । लाखों लोगों के पैसे डूब गए उसपर गंभीरता दिखाने के बजाय संसद को ठप्प करा रहे हैं । विदेश के दिए गए बयान को लेकर इतने गंभीर हैं तो फिर खुद के गिरेबान में भी झाँकने की आवश्यकता है । क्या ये सच्चाई नहीं है कि दक्षिण कोरिया के दौरे पर गए पीएम मोदी ने सियोल में अप्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा था, ‘पहले मुझे और तमाम लोगों को शर्म आती थी कि कैसा देश है यह जहां हम पैदा हो गए। जरूर पिछले जन्म में कोई पाप किए होंगे, लेकिन अब हमें गर्व है।’ माफी मांगी आपने। दरअसल सरकार बुनियादी सवालों से बचना चाहती है। सच तो ये है कि सदन नहीं चलने से देश का अपमान हो रहा है।