पटना: बिहार विधानसभा में सर्वसम्मति से नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) के खिलाफ प्रस्ताव पारित हो गया, जिसके साथ पूरी तरह से स्पष्ट हो गया कि नीतीश सरकार राज्य में एनआरसी लागू नहीं करेगी। साथ ही नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) को लेकर भी विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हुआ। एनपीआर को 2010 के आधार पर कराने का प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें मात-पिता की डिटेल देना जरूरी नहीं होगा।
सदन से एनआरसी और एनपीआर को लेकर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित होने पर कांग्रेस के विधानमंडल दल के नेता सदानंद सिंह ने इसे विपक्ष की बड़ी जीत बताई। सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने अपने विधायक दल की बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया कि एनपीआर, एनआरसी का विरोध किया जाएगा व सरकार से विरोध में प्रस्ताव पारित करने की मांग की जाएगी। जिसे बिहार सरकार ने स्वीकार कर लिया। इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार धन्यवाद के पात्र हैं।
सिंह ने कहा कि एनपीआर को 2010 के फॉर्मेट पर बिहार में लागू करने का संकल्प विधानसभा से सर्वसम्मति से पारित होना भाजपा की मंशा पर करारा प्रहार है। क्योंकि, मोदी सरकार इसमें ऐसा प्रावधान कर रही है, जो बाद में एनआरसी से जुड़ सकती है। बिहार में एनआरसी की आवश्यकता नहीं है का प्रस्ताव विधानसभ से पारित होना एनआरसी के खिलाफ बिहार के विरोध को दर्शाता है। जो महागठबंधन सहित विपक्ष के संघर्ष का हिस्सा रहा है।
साथ ही सिंह ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष और गंगा-जमुनी संस्कृति का देश हैं। यहां कोई भी ऐसा मामला नहीं आना चाहिए, जो हमारी इस पहचान को ठेस पहुंचाए। हमें समाज को जोडऩे के लिए काम करना चाहिए, ऐसी कोई भी बात नहीं होनी चाहिये जो हमारे आपसी सौहार्द, प्रेम और भाईचारे को चोट पहुंचाए।