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पटना हाई कोर्ट ने शराबबंदी से जुड़े 2 लाख से अधिक लंबित मामलों पर जताई चिंता

पीठ ने माना कि शराबबंदी कानून लागू करने के बाद ऐसे मामलों की त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करना राज्य सरकार का कर्तव्य है।

पटना हाई कोर्ट ने शराबबंदी से जुड़े दो लाख से अधिक लंबित मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए बिहार सरकार से राज्य में शराबबंदी कानून से उत्पन्न लंबित मामलों के बारे में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। राज्य सरकार ने अप्रैल 2016 में पूर्ण शराबबंदी लागू की थी। इसके तहत सभी प्रकार की शराब के निर्माण, भंडारण, परिवहन, बिक्री, उपभोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया। 
मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने गुरुवार को राज्य सरकार को विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया कि वह राज्य में शराब बंदी से उत्पन्न लंबित मामलों से कैसे निपटना चाहती है। सरकार के ऐसे मामलों से निपटने के लिए अपनी योजना के साथ जवाब दाखिल किए जाने पर इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश की कोर्ट में की जाएगी। 
पीठ ने माना कि शराबबंदी कानून लागू करने के बाद ऐसे मामलों की त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करना राज्य सरकार का कर्तव्य है। पीठ ने सरकार से यह भी पूछा है कि उसने शराब से संबंधित कितने मामलों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है। पीठ ने 21 अगस्त 2019 को न्यायमूर्ति अनिल कुमार उपाध्याय की एकल पीठ द्वारा पारित एक आदेश के बाद एक मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। 
एकल पीठ ने शराबबंदी कानून से संबंधित 2.07 लाख से अधिक मामलों पर चिंता व्यक्त की थी। शराबबंदी कानून के तहत बीते तीन वर्षों में लगभग 1.67 लाख लोगों को गिरफ्तार किया गया और 52.02 लाख लीटर शराब जब्त की गई। एकल पीठ ने मुख्य सचिव से विस्तृत जवाब मांगा था कि सरकार ने शराबबंदी से संबंधित मामलों के त्वरित निपटारे के लिए क्या किया है। कोर्ट के संज्ञान में यह भी आया था कि आठ जुलाई 2019 तक शराबबंदी कानून से संबंधित 2,07,766 मामले अधीनस्थ कोर्ट में लंबित हैं। 

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