माघी पूर्णिमा के अवसर पर बिहार में लाखों श्रद्धालुओं ने आज गंगा-गंडक के संगम समेत विभिन्न नदियों और सरोवरों में आस्था की डुबकी लगायी तथा मंदिरों में पूजा-अर्चना की। हिंदू धर्म के अनुसार माघी पूर्णिमा का विशेष महत्व है। माघी पूर्णिमा माघ मास का आखिरी दिन है और इसके ठीक अगले दिन से ही फाल्गुन की शुरूआत होती है। शास्त्रों में माघ स्नान और व्रत की महिमा बतायी गई है। इस दिन लोग पवित्र नदी में स्नान करके पूजा पाठ और दान करते हैं। यही कारण है कि इस दिन नदियों में स्नान करने वाले लोगों की भारी भीड़ जुटती है। माघी पूर्णिमा पर विधि विधान से पूजा करना काफी फलदायक होता है।
माना जाता है कि माघी पूर्णिमा पर भगवान विष्णु स्वयं गंगाजल में निवास करते हैं इसलिए, गंगाजल में स्नान और आचमन करना फलदायी होता है। माघी पूर्णिमा पर पितरों को श्राद्ध देना चाहिए। इस दिन देवता रूप बदलकर गंगा में स्नान करने धरती पर उतरते हैं और हर मनुष्य का कल्याण करते हैं। माघी पूर्णिमा पर संगम में स्नान करने से व्यक्ति की हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस शुभ अवसर पर तिल, कम्बल, कपास, गुड़, घी, मोदक, फल, चरण पादुकाएं, अन्न का दान करना फलदायक होता है।
वैसे तो पूरे माघ माह में गंगा स्नान का खास महत्व बताया गया है। लेकिन जो लोग पूरे महीने गंगा स्नान नहीं कर सके, वे माघ पूर्णिमा के दिन माघ स्नान अवश्य करें। ऐसा करने वालों को भगवान श्रीकृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है। व्यक्ति को सुख-समृद्धि और संतान के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। माघ पूर्णिमा पर व्रत, स्नान, जप, तप, हवन और दान का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।