राज्य में विगत 30 वर्षों से रोजगार सृजन एवं निवेश सरकार के प्राथमिकता में नही रहने से लोग पलायन को मजबूर हुए:माधव आनंद - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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राज्य में विगत 30 वर्षों से रोजगार सृजन एवं निवेश सरकार के प्राथमिकता में नही रहने से लोग पलायन को मजबूर हुए:माधव आनंद

रालोसपा के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव सह मुख्य प्रवक्ता माधव आनंद ने कहा कि बिहार में विगत 30 वर्षों में 1990 से 2020 तक रोजगार सृजन एवं निवेश सरकारों के प्राथमिकता में नहीं रहा। जिसके कारण बड़ी संख्या में रोजगार के सिलसिले में बिहार के लोगों का पलायन अन्य प्रदेशों में हुआ।

पटना, (पंजाब केसरी) : रालोसपा के  राष्ट्रीय प्रधान महासचिव सह मुख्य प्रवक्ता माधव आनंद ने कहा कि बिहार में विगत 30 वर्षों में 1990 से 2020 तक रोजगार सृजन एवं निवेश सरकारों के प्राथमिकता में नहीं रहा। जिसके कारण बड़ी संख्या में रोजगार के सिलसिले में बिहार के लोगों का पलायन अन्य प्रदेशों में हुआ। इस वैश्विक महामारी  और आर्थिक महामारी  से सभी सरकारें जूझ रही हैं। बिहार सीमित संसाधनों वाला प्रदेश है साथ ही साथ बिहार में समस्याएं अनगिनत हैं। बिहार को दोनों मोर्चे पर लड़ाई लडऩे के लिए केंद्र सरकार से पूर्ण सहयोग की आवश्यकता है।
श्री आनंद ने कहा कि एक अर्थशास्त्री होने के नाते, इस कोरोना महामारी  के दौरान मैंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि बिहार को 1.50 लाख करोड़ का विशेष आर्थिक पैकेज दिया जाए। जिससे बिहार सरकार कुशलता के साथ कोरोना महामारी और आर्थिक महामारी से लड़ सके। साथ ही साथ मैंने बिहार सरकार से आग्रह किया कि बिहार की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए एवं श्रमिक भाइयों की जो घर वापसी हुई है, उनको बिहार में अविलंब कैसे रोजगार मिले। इसके लिए 100 करोड़  तक के सरकारी प्रोजेक्ट को टेंडर मुक्त किया जाए एवं पारदर्शी तरीके से भारत की प्रतिष्ठित कंपनियों को नामांकन आधार पर कार्य दिया जाए। जिससे की श्रमिकों को तुरंत अपने गृह जिले में रोजगार मिल सके। क्योंकि टेंडर की प्रक्रिया एक लंबी प्रक्रिया होती है इस प्रक्रिया में 6 महीने से 1 साल तक का समय लग सकता है। लगभग 20 से 25 लाख श्रमिकों भाइयों की घर वापसी हो चुकी है एवं आने वाले वक्त में 5 से 10 लाख श्रमिकों की घर वापसी होनी है। श्रमिकों के अलावा उच्च शिक्षा प्राप्त बिहारीवासी जो अन्य प्रदेशों में उच्च पद पर कार्यरत उनकी स्थिति भी वर्तमान समय में अच्छी नहीं हैं। प्राइवेट सेक्टर बड़ी मात्रा में लोगों को नौकरी से निकालने का काम किया या लोगों की तनख्वाह 40 से 50 प्रतिशत तक कम कर देने का भी काम किया है। इस विषम परिस्थिति में इस बात की प्रबल संभावना है कि इन लोगों की भी घर वापसी हो। मेरी पार्टी ने सरकार को कई सुझाव भी दिए हैं और साथ ही साथ इस कोरोना के संकट की घड़ी में सरकार की विफलता को लेकर सांकेतिक उपवास, धरना इत्यादि कई कार्यक्रम करने का काम किया है।   एक बिहारी अर्थशास्त्री होने के नाते दलगत भावनाओं से ऊपर उठकर बिहार के उज्ज्वल भविष्य के लिए मैं एक रोडमैप बिहार में रोजगार सृजन कैसे हो, निवेश कैसे लाया जाए पर काम कर रहा हूं। आने वाले कुछ दिनों में मैं राज्यपाल,  मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी, प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव , रालोसपा सुप्रीमों एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा , पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ,कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झां,वीआईपी पार्टी के संस्थापक मुकेश साहनी साथ ही साथ सीपीआई,सीपीएम के प्रतिनिधियों से भी मिलकर बिहार के विकास के लिए रोडमैप प्रस्तुत करना चाहता हूं। 
माधव आनंद ने कहा कि आने वाले 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद जिनके नेतृत्व में  5 साल के लिए स्थायी सरकार बनेगी ,मैं आशा करता हंू कि उस सरकार की प्राथमिकता में रोजगार सृजन ,उद्योग व्यवस्था लगाने , निवेश बिहार में लाने, ये सभी बातें सरकार की प्राथमिकता में होनी चाहिए। हम सब लोग मिलकर ही विकसित बिहार की जो परिकल्पना है उसको पूरा कर सकते हैं, बिहार में निवेश एवं रोजगार सृजन की आपार संभावनाएं हैं।

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