पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती की पूर्व संध्या पर कवियों ने उन्हें कविता के माध्यम से याद कर श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व सांसद और नीरज स्मृति के अध्यक्ष आरके सिन्हा ने किया था। यह आभासी कार्यक्रम था। कवि सम्मेलन का संचालन सुप्रसिद्ध कवि गजेंद्र सोलंकी ने किया। अटल जी को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने कहा -जाति -पंथ सब अलग हैं पर खून तो अपना हिंदुस्तानी है।
आरके सिन्हा ने कवियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा अटल जी को याद करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने का सबसे बेहतर माध्यम कविता है। वे खुद एक अच्छे कवि थे। उनका मन साहित्य में खूब रमता था। उनकी कविताओं से देश के लिए कुछ करने का जज्बा पैदा होता है। उन्होंने देश की राजनीति को एक नई दिशा दी। युवाओं को प्रेरित किया।
कवि चरणजीत चरण ने अटल जी को याद करते हुए कहा -सुनी सभी के मन की वाणी/ नहीं किसी से रार ठानी/ तुम थे भारत माता के सच्चे संतान/ याद बहुत आते हो अटल बिहारी।
कवि सूर्यमणि त्रिपाठी ने कहा -प्यार के धागे से सबको जोड़ा/ कभी किसी का मन नहीं तोडा / जैसे राम सभी के प्यारे हैं, वैसे तुम भी सबके प्यारे हो।
मनवीर मधुर ने कहा -तुम कविता की फुलवारी थे और ऐसे मस्त फ़क़ीर, जो सम्राटों पर भारी थे/ अटल बिहारी जैसे जग में केवल अटल बिहारी थे। राधाकांत पांडेय ने जीवन की जद्दोजहद पर कविता सुनाई। कहा -तब थे रिश्ते बहुत जरुरी / अब जरुरत के रिश्ते हैं।
युवा कवि प्रख्यात ने शहीदों को याद करते हुए कहा- शीश कटाना तो आया पर शीश झुकना नहीं आया।
अटल काव्यांजलि को वर्चुअल(सोशल मीडिया) के माध्यम से लगभग 16 हजार लोगों ने सुना और सुनकर अपने विचार भी प्रकट किए । श्री सिन्हा पिछले कई वर्षों से अटल जी के जन्मदिन जयंती के अवसर पर अटल काव्यांजलि का आयोजन करते आ रहे है।