बिहार : एक दूसरे की जरूरत ने करवाया JDU और RLSP का सियासी मिलन, भाजपा के अंदर मची खलबली - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

बिहार : एक दूसरे की जरूरत ने करवाया JDU और RLSP का सियासी मिलन, भाजपा के अंदर मची खलबली

राजनीति में कब कौन किसका दोस्त हो जाए और कब किसका बैरी हो जाए कहा नहीं जा सकता। ऐसा ही बिहार की सियासत में एक बार फिर देखने को मिला जब पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा अपनी पार्टी रालोसपा का जनता दल (युनाइटेड) में विलय कर दिया।

राजनीति में कब कौन किसका दोस्त हो जाए और कब किसका बैरी हो जाए कहा नहीं जा सकता। ऐसा ही बिहार की सियासत में एक बार फिर देखने को मिला जब पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (रालोसपा) का जनता दल (युनाइटेड) में विलय कर दिया। वैसे, कहा जा रहा है इस ‘सियासी मिलन’ की जरूरत दोनों दलों को थी।
कुशवाहा के जदयू के नीतीश कुमार को आठ साल के बाद फिर से ‘बड़ा भाई’ कहने का मुख्य कारण पिछले साल अक्टूबर-नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव का परिणाम बताया जा रहा है। चुनाव में कुशवाहा ने महागठबंघन का साथ छोड़कर एक दूसरे गठबंधन के साथ चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश जरूर की लेकिन मतदाताओं का साथ नहीं मिला। कुशवाहा की पार्टी खाता तक नहीं खोल सकी।
इधर, चुनाव में जदयू का प्रदर्शन भी खराब रहा। राज्य की सत्ता पर काबिज जदयू चुनाव में तीसरे नंबर की पार्टी बनकर रह गई थी। इसके बाद जदयू अपने कुनबे को बढ़ाने के लिए सामाजिक आधार मजबूत करने के प्रयास में जुट गई। जदयू ने अपने संगठन को धारदार बनाने के लिए आर सी पी सिंह को अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप दी। कुशवाहा के जदयू में आने के बाद विरोधियों की भृकुटी तो तनी ही है, कुशवाहा के जदयू को सबसे बड़ी पार्टी बनाने के बयान ने भाजपा को भी सचेत कर दिया है।
भाजपा के नेता हालांकि इस मामले में खुलकर तो कुछ नहीं बोल रहे हैं, लेकिन भाजपा के बढ़ते ग्राफ को कम करने के लिए नीतीश के इस चाल से भाजपा के अंदर भी खलबली महसूस की जाने लगी है। भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद कहते हैं कि कोई भी पार्टी अपने संगठन को मजबूत और बड़ा तथा पार्टी को एक नंबर की पार्टी बनने की चाहत रखती है, यही तो राजनीति है। उन्होंने कहा कि भाजपा और जदयू मिलकर सरकार चला रहे हैं, लेकिन दोनों दल अपने संगठन को भी मजबूत करने में जुटे हैं।
उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि कुशवाहा के सहयोगी दल के साथ आने के बाद राजग मजबूत होगी, जिसका लाभ आने वाले चुनाव में मिलेगा। बिहार में कुर्मी जाति और कोइरी (कुशवाहा) जाति को लव-कुश के तौर पर जाना जाता है। कुशवाहा के अलग होने के बाद माना जाता था कि नीतीश के इस वोटबैंक में दरार आ गई है, जिसे नीतीश फिर से दुरूस्त करने में जुटे हैं। वैसे विरोधी इसे जातीय राजनीति भी बता रही है।
पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव परिणाम में भाजपा को 74 सीटें मिली जबकि जदयू को 43 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। इस चुनाव के पहले तक जदयू बड़े भाई की भूमिका में थी, लेिकन मौजूदा स्थिति में वह राजद और भाजपा के बाद तीसरे स्थान पर है। मौजूदा राजनीतिक परिस्थतियों से सबक लेते हुए जदयू ने रालोसपा को अपने साथ मिलाया। जदयू के नेता भी मानते हैं कि इस कदम से जदयू का जनाधार बढ़ेगा।
जदयू की प्रवक्ता सुहेली मेहता कहती हैं, “कुशवाहा जी की राज्य की राजनीति में अपनी अलग पहचान रही है। उनकी अपनी पकड़ है। उनके पार्टी में आने के बाद जदयू और मजबूत होगा। हमारे सहयोगी दल भी उनका स्वागत कर रहे हैं।” रालोसपा के जदयू में विलय के बाद उपेन्द्र कुशवाहा ने एलान किया कि जदयू को फिर से नंबर वन पार्टी बनाना है। लगे हाथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी उन्हें जदयू संसदीय दल का अध्यक्ष बनाने की घोषणा कर दी।

RLSP का JDU में विलय, कुशवाहा बोले-CM नीतीश कुमार के नेतृत्व में करेंगे काम

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

thirteen − eight =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।