पटना, (जेपी चौधरी) : देश में जहां कोरोना महामारी से लॉकडाउन किया गया । आज 40 दिन के बाद मई दिवस पर झारखंड के प्रवासी मजदुर को तेलंगाना के लिंगमपेल्ली स्टेशन से प्रवासी मजदूरों के लिए स्पेशल ट्रेन चला कर झारखण्ड के मजदूरों को लेकर हटिया स्टेशन पहुंचेगी। देश के गृहमंत्री अमित शाह ने भी बिहार को भी कहा था की आप भी अपने प्रवासी मजदुर को बिहार ले आवे। मगर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और वित्तमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा की सब मजदुर को लाना संभव नहीं है क्योंकि हमारे पास इतने संसाधन नहीं है। उपमुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से आग्रह कर कहा की बिहार सरकार को रेल उपलब्ध करावे की प्रवासी मजदुर को अपने राज्य आ सके । अगर बिहार सरकार केन्द्र सरकार को पत्र लिख कर स्पेशल टे्रन देने के लिए आग्रह करें तो बिहार के बाहर फसे मजदूरो के लाने में सहूलियत होगी। झारखंड सरकार ने केन्द्र सरकार गाईडलाइन को मानकर करवाई करके अपने प्रवासी मजदूरों को वापस लाने का काम किया। बिहार बड़ा भाई होने के नाते अभी कुछ दिखाई नहीं दे रहा है । झारखण्ड सरकार अपने प्रवासी मजदूर लाने में सबसे आगे रहा। बिहार मैं डबल इंजन सरकार रहने के बावजूद भी अभी मजदूरो को लाने के लिए मंथन कर रहे है । मजदूरो का हितेशी बताने वाले नेताओं को मजदरो की चिंता नही उन्हे केवल फोटो खिंचवाने से मतलब रहता है। इस महामारी में मजदूरो की चिंता उन्हें नहीं सतायी। सैकड़ों गरीबों के घर में चूल्हा जलना तो दूर उन्हें हाथ धोने के लिए साबुन तक मयस्सर नहीं हो रहा है। पीडीएस दुकानों से मिलने वाला राशन के साथ-साथ साबुन,माक्श दिये जाने की व्यवस्था होनी चाहिए। जन बितरण के दुकान से सड़ा गला राशन दिया जा रहा है जिसके पास राशन कार्ड रहने के बावजूद भी आधार कार्ड लिंक न होने के कारन राशन नहीं दिया जा रहा है। जिसके पास राशन कार्ड है व भी भगवान भरोसे है । राज्य सरकार सभी को राशन उपलब्ध कराने की बात कर रही है लेकिन यह संभव नहीं दिख रहा है, इसके लिए अमल करना होगा। स्थानीय जनप्रतिनिधी अपने -अपने क्षेत्रो में राशन उपलब्ध कराने का काम करें। तभी मजदुर दिवस सही साबित होगा , मीडिया मैं खबर छपवाने से नहीं होगा।