बिहार में पूर्णिया जिले के केहाट थाना में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के बागी दलित नेता शक्ति मलिक की रविवार को हुई हत्या के मामले में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव और उनके बड़े भाई तेजप्रताप यादव समेत 6 लोगों के खिलाफ केस दर्ज़ होने के बाद से बिहार की सियासत गरमाई हुई है। एक तरफ जहां सत्तापक्ष के नेता बीजेपी और जदयू राजद नेता पर हमलावर हो गई है, वहीं उनके बचाव में राजद नेता उतर आए हैं।
इसी बीच राज्यसभा सांसद मनेाज झा ने कहा कि सत्ता पक्ष अनुसंधान में सीमेंट-गारा नहीं डालें। यदि जांच में दोषी साबित हों तब तेजस्वी यादव को फांसी पर चढ़ा देना। वहीं राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पूर्व मंत्री शिवानंद तिवारी ने कहा है कि पूर्णिया में बाल्मीकि समाज के एक नेता की हत्या की घटना की राजद घोर निंदा करता है। उन्होंने कहा कि इस मामले में मृतक के परिवार के लोगों ने जो नामजद एफआईआर दर्ज कराई है उसमें नेता प्रतिपक्ष और उनके बड़े भाई को नामजद किया जाना घोर आपत्तिजनक है।
तिवारी ने कहा कि विधानसभा का चुनाव सिर पर है। ऐसे समय में नेता प्रतिपक्ष और उनके बड़े भाई को हत्या के मामले में नामजद अभियुक्त बनाया जाना एक गंभीर राजनीतिक षडयंत्र है। उन्होंने कहा कि जदयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। तिवारी ने कहा कि संजय जी के इस बयान को हम मुख्यमंत्री जी की पार्टी का आधिकारिक बयान मान रहे हैं। हम यह भी मांग करते हैं कि जब तक सीबीआई की जांच पूरी नहीं हो जाए तब तक मुख्यमंत्री अपने तथा अपने सहयोगी दलों के नेताओं को अनर्गल बयान देने पर रोक लगाएं।