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हुनरमंद युवा कभी भूखा और बेरोजगार नहीं रह सकता : सुशील मोदी

उन्होंने कहा कि स्वामी जी के संघर्ष और प्रयास का ही परिणाम है कि आज भूमिहार समाज को सभी क्षेत्रों में इतनी प्रतिष्ठा मिली हुई है।

बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आज कहा कि हुनरमंद युवा कभी भूखा और बेरोजगार नहीं रह सकता है। 
श्री मोदी ने यहां ‘विश्व युवा कौशल दिवस’ पर ज्ञानभवन में आयोजित राजकीय समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भारत एक युवा देश है क्योंकि इसकी 65 प्रतिशत आबादी की उम, 35 वर्ष है। आज हुनर का जमाना है और जिनके पास हुनर है वैसे युवा कभी भूखा और बेरोजगार नहीं रह सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगले 10 वर्षों के बाजार और उद्योग की जरूरतों की मैपिंग कर कार्यबल को प्रशिक्षित करने की जरूरत है। आने वाला दिन इलेक्ट्रिक गाड़यां, सौर, रोबोटिक्स तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का होगा। इसके मद्देनजर पाठ्यक्रम को भी इसके अनुरूप बनाने की जरूरत है। 

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि कार्यबल की प्रचूरता के बावजूद भारत के कुल कार्यबल का मात्र पांच प्रतिशत ही प्रशिक्षित है जबकि चीन का 24, अमेरिका का 52, ब्रिटेन का 68, जर्मनी का 75, जापान का 80 और दक्षिण कोरिया का 96 फीसदी कार्यबल प्रशिक्षित हैं। उन्होंने कहा कि बिहार के सभी 38 जिलों में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज और 44 पॉलीटेक्निक कॉलेज की स्थापना कर दी गयी है जहां से प्रतिवर्ष 9500 इंजीनियर और 11 हजार डिप्लोमाधारक उत्तीर्ण होंगे। 

श्री मोदी ने बताया कि राज्य में 135 राजकीय और एक हजार से अधिक निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) तथा हर मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में बीएससी नर्सिंग की पढ़ई शुरू कर दी गयी है। इसके अलावा एएनएम, जीएनएम तथा पारा मेडिकल की पढ़ई भी शुरू की गई है। राज्य सरकार के कुशल युवा कार्यक्रम के तहत प्रत्येक साल ढाई से तीन लाख युवाओं को 240 घंटे का सामान्य कम्प्यूटर, संवाद कौशल के तहत हिन्दी-अंग्रेजी संभाषण का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 

उप मुख्यमंत्री ने बताया कि आईटीआई उत्तीर्ण विद्यार्थियों को मात्र हिन्दी और अंग्रेजी के एक-एक पेपर की परीक्षा देकर उत्तीर्ण होने पर इंटर के समकक्ष की मान्यता दे दी जायेगी। इससे उन्हें रोजगार मिलने में सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि यदि 20वीं सदी आईआईटी की थी तो 21 वीं शताब्दी आईटीआई की होने वाली है। पूरी दुनिया हमारी युवाशक्ति और हुनरमंद कार्यबल का इंतजार कर रही है। जब तक हाथ से काम करने वालों को समाज में सम्मान-प्रतिष्ठा नहीं मिलेगी तब तक देश आगे नहीं बढ़ सकता है।

मोदी ने यहां राज्य अभिलेखागार के सभागार में आयोजित ‘चिंताहरण सिंह जन्मशताब्दी वर्ष’ के अवसर पर स्वामी सहजानंद सरस्वती से जुड़ बहुमूल्य दस्तावेजों को सौंपे जाने के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य अभिलेखागार के सभी 10 करोड़ दस्तावेजों को डिजिटल कर संरक्षित किया जायेगा और इसके लिए आवश्यक राशि की कमी नहीं होने दी जायेगी। उन्होंने स्वामी सहजानंद सरस्वती से जुड़ बिहटा के सीताराम आश्रम को विकसित करने और वहां प्रतिवर्ष मेले का आयोजन करने का सुझाव देते हुए कहा कि उनकी कर्मस्थली को तीर्थस्थल बनाने की जरूरत है। 
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि खेतीहर मजदूरों के हक में स्वामी सहजानंद के संघर्ष का ही नतीजा रहा कि बिहार में 50 के दशक के शुरुआती वर्षों में ही जमींदारी उन्मूलन विधेयक पारित किया गया। उन्होंने अमेरिकी लेखक वाल्टर हाउजर के हवाले से कहा, ‘‘यदि स्वामीजी ने किसानों की लड़ई नहीं लड़ होती तो जमींदारी उन्मूलन विधेयक भी पारित नहीं हुआ होता। वॉल्टर हाउजर ने स्वामी जी पर काफी शोध कर और उनसे जुड़ डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, डॉ. श्री कृष्ण सिंह, लोकनायक जयप्रकाश नारायण से मिलकर जानकारी जुटाने के बाद पुस्तक का लेखन किया। करीब 50 वर्ष पूर्व अमेरिका गए स्वामी जी से जुड़ दस्तावेज के अभिलेखागार में वापस आने पर प्रसन्नता व्यक्ति की।’’ 
श्री मोदी ने कहा कि स्वामी जी जिस समाज से आते थे उसी समाज के जमींदारों के विरुद्ध उन्होंने खेतीहर मजदूरों के हक में लड़ई लड़। वर्ष 1914 में उन्होंने भूमिहार-ब्राहम्ण महासभा का गठन कर समाज को संगठित किया वहीं 1916 में भूमिहार-ब्राहम्ण परिचय पुस्तक लिख और संस्कृत पाठशालाओं की स्थापना कर पौरहित्य और कर्मकांड पर ब्राहम्णों के वर्चस्व को चुनौती दी। उन्होंने कहा कि स्वामी जी के संघर्ष और प्रयास का ही परिणाम है कि आज भूमिहार समाज को सभी क्षेत्रों में इतनी प्रतिष्ठा मिली हुई है।

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