सत्तारूढ़ गठबंधन और निवर्तमान मुख्यमंत्री हालांकि 1990-2005 के बीच राजद शासन के दौरान 15 साल के ‘‘कुशासन’’ का बार-बार जिक्र करते दिख रहे हैं लेकिन विपक्ष के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव के नीतीश पर बेरोजगारी और भ्रष्टाचार को लेकर प्रहार ने इस लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है। बिहार में पहले चरण के मतदान के लिए तैयार होने और तेजस्वी यादव की आक्रामक चुनौती के बीच राज्य में बुधवार से चुनाव रूपी जंग शुरू होने जा रही है।
राज्य की 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा के चुनाव के तहत कल पहले दौर का मतदान होगा। दक्षिणी बिहार और मध्य बिहार के कुछ हिस्सों में 71 सीटों पर पहले दौर में वोट डाले जाएंगे। इनमें से फिलहाल 37 विधानसभा सीट राजग के पास हैं जबकि राजद के नेतृत्व वाले विपक्षी महागठबंधन के पास 34 सीट हैं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में राजग ने करीब 53 फीसदी वोट हासिल करते हुए बिहार की कुल 40 सीटों में से 39 जीती थीं जबकि विपक्षी महागठबंधन 30 फीसदी वोटों के साथ बमुश्किल एक ही सीट जीत पाया था ।
इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में विपक्षी महागठबंधन में भाकपा माले सहित दो अन्य वाम दल भी शामिल हुए हैं जबकि राजग में शामिल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू से नाता तोड़कर चिराग पासवान की पार्टी अकेले अपने बलबूते चुनाव मैदान में उतरी है। राजद के प्रवक्ता मनोज झा का कहना है यह चुनाव बिहार और नीतीश कुमार के बीच है। चुनाव का रुझान बहुत स्पष्ट है। लोग बदलाव चाहते हैं।
सत्तारूढ़ जदयू के उम्मीदवारों के खिलाफ लोजपा द्वारा अपने प्रत्याशी उतार दिए जाने से जदयू की मुश्किलें बढ़ी हैं । जदयू के महासचिव अफाक अहमद का कहना है कि बिहार के लोग राजनीति की समझ रखते हैं और वे नीतीश जिनका काम केवल सुशासन और विकास है, का समर्थन करेंगे। तेजस्वी की रैलियों में भारी भीड़ जुटने के बारे में पूछे जाने पर आफाक ने इसे ज्यादा महत्व नहीं दिया और कहा कि जवाहरलाल नेहरू के मुखर आलोचक रहे राम मनोहर लोहिया 1962 में फूलपुर से देश के पहले प्रधानमंत्री के खिलाफ लड़े थे। उनकी सभा में भारी भीड़ हुआ करती थी पर वह हार गए थे।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच कोई मुकाबला नहीं है तथा नीतीश फिर से मुख्यमंत्री होंगे। विभिन्न जनमत सर्वेक्षणों ने राजग को बहुमत मिलने के संकेत दिए हैं । राजद खेमे का मानना है कि उसके गठबंधन में राज्य में वाम दलों में सबसे मजबूत भाकपा माले के साथ होने से उनके दलित वोट बढ़ेंगे जबकि राजग से लोजपा निकल चुकी है।