बिहार में मतदान केंद्रों से जो रुझान आ रहे हैं, उसमें भाजपा राज्य की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर रही है, लेकिन कांग्रेस 27 सीटों के अपने 2015 के प्रदर्शन को भी दोहरा नहीं पा रही है। नतीजों में महागठबंधन भी एनडीए से पीछे है। वहीं रुझानों के एग्जिट पोल के अनुमानों के विपरीत नतीजे सामने आ रहे हैं। रुझानों में भाजपा के आगे आते ही ईवीएम हैकिंग को लेकर कांग्रेस ने विपक्ष पर निशाना साधा है।
कांग्रेस नेता उदित राज ने ट्वीट कर कहा “जब मंगल ग्रह और चांद की ओर जाते उपक्रम की दिशा को धरती से नियंत्रित किया जा सकता है तो ईवीएम हैक क्यों नही की जा सकती?” उन्होंने कहा कि “अमेरिका में अगर ईवीएम से चुनाव होता तो क्या ट्रंप हार सकते थे?”
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि मतगणना के रुझान के नतीजों पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी लेकिन भाजपा उन सीटों पर ज्यादा सहज है, जिन पर कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं लोकप्रिय होने के बाद भी राजद दोपहर 12 बजे तक आशाजनक वोट नहीं पा सकी थी। कांग्रेस नेताओं को लगता है कि पार्टी ने भले ही 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उन पर मुकाबला मुश्किल था क्योंकि इन सीटों पर भाजपा की उपस्थिति मजबूत थी।
वहीं राजद के मुकाबले भाजपा उन सीटों पर भारी पड़ी जो या तो शहरी सीटें थीं या भाजपा के मजबूत गढ़ थे। रुझानों के अनुसार, दोपहर 12 बजे तक भाजपा 73 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी थी, राजद 57 सीटों पर आगे चल रही है, वहीं जदयू 51 सीटों पर और कांग्रेस 21 सीटों पर आगे है। 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए बिहार में 3 चरणों में – 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को मतदान हुआ था।
2015 के विधानसभा चुनावों में राजद ने 80 सीटें जीती थीं, जबकि जद (यू) ने 71 सीटें जीती थीं। भाजपा ने 53 सीटें जीती थीं और लोजपा 2 सीटों पर ही जीत पाई थी। नीतीश कुमार 2005 से लगातार 3 बार बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।