बिहार में शनिवार का दिन राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (आरएलएसपी) के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं रहा, क्योंकि एक-दो नहीं बल्कि पूरे 41 नेताओं ने एकसाथ पार्टी से इस्तीफा देकर सबको हैरान कर दिया। इन सबने आरएलएसपी से अपना पूरा तरीके से रिश्ता तोड़ लिया है। इस मुद्दे पर पार्टी नेता विनय कुशवाहा ने दावा किया है कि अभी तो यह सिर्फ शुरूआत है, अगले कुछ दिनों में और पार्टी नेताओं के इस्तीफें आएंगे।
विनय ने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ता नीतीश सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरे, लेकिन दल के नेता उपेन्द्र कुशवाहा आज उनसे ही गलबिहयां कर रहे हैं। आरोप लगाया कि उपेन्द्र कुशवाहा ने कुशवाहा समुदाय को गुमराह किया। रालोसपा के 90 फीसदी कार्यकर्ता जदयू में विलय के पक्ष में नहीं हैं। भविष्य में किस दल का दामन थामेंगे के सवाल पर कहा कि पार्टी नेताओं से विमर्श कर निर्णय लेंगे।
हालांकि इससे पहले बीते दिनों हुए पार्टी के नौंवे स्थापना दिवस पर रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी के जदयू में विलय के सवाल को निराधार बताते हुए कहा था कि पार्टी अपना कार्यक्रम कर रही है। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी पार्टी कोलेजियम सिस्टम के खिलाफ, शिक्षा के सवाल पर और किसानों-युवाओं के मुद्दे पर संघर्ष जारी रखेगी। पार्टी कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत में कुशवाहा ने साफ किया कि पार्टी अपने कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए जनसरोकारों के मुद्दों पर सवाल उठाती रहेगी। कृषि कानून किसान व जन विरोधी है और सरकार को इसे वापस लेना चाहिए। पार्टी के प्रवक्ता धीरज सिंह कुशवाहा ने बताया कि आगे की रणनीति के लिए पार्टी के राष्ट्रीय व राज्य परिषद और जिला अध्यक्षों की बैठक 13 व 14 मार्च को बुलाई गई है।