बॉलीवुड में नेपोटिज्म का मुद्दा काफी समय से चल रहा है। सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड के बाद से ही बी-टाउन में इस मामले पर बहस तेज हो गई है। स्टार किड्स को इस मुद्दे की वजह से कई बार ट्रोल भी किया जाता है। एक्टर अभिषेक बच्चन को भी इसका कई बार सामना कर पड़ा है। कई बार उनके पिता और दिग्गज अभिनेता अमिताभ बच्चन से उनकी तुलना की जाती है। अभिषेक बच्चन ने साल 2000 में फिल्म रिफ्यूजी से बॉलीवुड में डेब्यू किया। उनका मानना है कि सिर्फ ऑडियंस की स्वीकार करने के बाद ही लंबे वक्त तक टिक सकते हैं।
अभिषेक बच्चन ने नेपोटिज्म के मुद्दे पर अपनी बात रखी और कहा," फैक्ट यह है कि अमिताभ बच्चन ने कभी किसी को फोन नहीं किया। उन्होंने कभी मेरे लिए फिल्म नहीं बनाई। इसके विपरीत, मैंने उनके लिए एक फिल्म प्रोड्यूस की, जिसका नाम 'पा' है। लोग समझते हैं कि यह एक बिजनेस है। अगर पहली फिल्म के में आपमें उनके कुछ नहीं दिखा या वो फिल्म हिट नहीं हुई, तो आपको अगला प्रोजेक्ट मिलना बहुत ही मुश्किल होता है या नहीं मिलता. यही इस दुनिया की सच्चाई है।"
जूनियर बच्चन का कहना था कि 'उन्हें पता है जब उनकी फिल्में नहीं चलती तो उन्हें पता होता है कि उन्हें किन फिल्मों से रिप्लेस कर दिया गया है, कौन सी फिल्में नहीं बनाई गईं, जो कि शुरू की गईं और बजट न होने की वजह से बंद कर दी गईं क्योंकि उन पर मेकर्स जोखिम नहीं उठा सकते थे तो आपके सामने ये है मिस्टर अमिताभ बच्चन का बेटा होने का सच।'
इंटरव्यू के दौरान अभिषेक ने अपने ड्रीम रोल के बारे में बताया कि एक्टर बनने से पहले शाहरुख ने एक बार उनसे कहा था कि 'फेवरिट रोल वही होना चाहिए, जो प्रजेंट टाइम पर आप कर रहे हैं, क्योंकि अगर ऐसा नहीं है तो आपने इसे क्यों चुना।' बहरहाल, अगर अभिषेक के वर्कफ्रंट की बात की जाए तो वो अनुराग बसु की फिल्म 'लूडो' में नजर आएंगे। इसमें वह क्रिमिनल का रोल निभा रहे हैं।