बॉलीवुड फिल्मों में एक विलेन का किरदार एक हीरो के किरदार जितना ही जरूरी होता है। बॉलीवुड में कई कलाकार आये, जिन्होंने एक विलेन के तौर पर अपनी पहचान बनायीं। इन्ही में से एक थे अभिनेता अजीत खान। “सारा शहर मुझे लायन के नाम से जानता है “, ‘मोना डार्लिंग’, ‘लिली डोंट बी सिली’ जैसे डायलॉग आज भी अजीत खान की यादों को लोगों में जिन्दा रखते है।
आज ही के दिन यानी 27 जनवरी , 1992 में अजीत खान का जन्म हैदराबाद के गोलकोण्डा में हुआ था। अजीत खान ने विलेन के किरदार से फिल्म में अभिनेताओं को खूब टक्कर दी थी लेकिन उनका फ़िल्मी करियर इतना आसान नहीं रहा और अपने घर से मुंबई आने के सफर में उन्होंने दुनिया को बारीकी से समझा था।
अजीत खान बचपन से फिल्मों के शौक़ीन थे और अभिनेता बनना चाहते थे। अजीत का असली नाम हामिद अली खान था। अपने एक्टर बनने का सपना पूरा करने के लिए वो अपने घर से बिना किसी को बताये मुंबई भाग आये थे। हैदराबाद से मुंबई आने के लिए, उन्होंने अपनी किताबें तक बेच डाली थी।
मुंबई आने के बाद अजीत का रहने खाने का कोई ठिकाना नहीं था। उन्होंने कई रातें सड़कों पर गुजारी तो कभी सीमेंट की बनी पाइपों में सोना पड़ा। शुरूआती दिनों मेज उनका पाला मुंबई के लोकल गुंडों से भी पड़ा जो उन्हें हफ्ता वसूली के लिए परेशान करते थे। एक बार उन्होंने एक गुंडे की धुनाई कर दी और खुद एक गुंडे बन गए।
गुंडा बनने की वजह से उन्हें रहने खाने का इंतजाम तो हो गया पर उनकी मंजिल अभी दूर थी। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में कोशिश करना शुरू किया तो छोटे मोठे रोल भी मिलने लगे। 1940 में बतौर हीरो फिल्म कुरुक्षेत्र से उन्होंने अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की।
इसके बाद उन्होंने बतौर हीरो कई फिल्मों में काम किया पर ये सभी फ़िल्में फ्लॉप साबित हुई। इसके बाद उन्होंने फिल्मों में विलेन की भूमिका निभाना शुरू किया और उन्हें सफलता मिलने लगी। उनका अंदाज पारम्परिक विलेनों से अलग था और यही बात दर्शकों को खूब पसंद आयी।
विलेन के किरदार में उनके डायलॉग और वन लाइनर जबरदस्त हिट हुए और वो एक डिमांडिंग एक्टर बन गए। अजीत ने अपने करियर में 200 से अधिक फिल्मों में काम किया। 22 अक्टूबर 1998 को अजीत ने अपने गृहनगर हैदराबाद में अंतिम सांस ली पर फिल्म इंडस्ट्री में उनेक योगदान को हमेशा याद किया जायेगा।