आलिया भट्ट की
फिल्म ‘गंगूबाई’, एसएस राजमौली
की फिल्म ‘आरआरआर’ और विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘ द कश्मीर फाइल्स’ ये तीनों ही
फिल्में ऑस्कर के लिए भारत की ओर से ऑफिशियल एंट्री करने की रेस में शामिल थी,
लेकिन इन फिल्मों को पीछे छोड़ते हुए गुजराती फिल्म ‘छेलो शो‘ ने जगह बना ली। ‘छेलो शो‘ को ऑस्कर के नॉमिनेशन लिस्ट में
एंट्री मिलने के बाद जहां कुछ लोग तो इस फैसले की तारीफ कर रहे है, लेकिन वहीं कुछ
लोग ऐसे भी है जो लगातार इस फैसले का विरोध कर रहे है और अब ये फिल्म विवादों में
घिरती हुई नजर आ रही है।
पान नलिन की
फिल्म ‘छेलो शो‘ के ऑस्कर में भारत की ओर से ऑफिशियल एंट्री मिलने
के बाद से ये फिल्म लगातार विवादों में घिरती हुई दिख रही है। फिल्म को ऑस्कर में
भेजे जाने के फैसले पर ही अब सवाल उठने लगे है। FWICE यानि ‘फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न
इंडिया सिने एंप्लॉयज’ ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि भारत की ओर से जिस
फिल्म को ऑस्कर में भेजा गया है वो फिल्म भारतीय है ही नहीं। साथ ही अब जूरी को डिजॉल्व
करने की मांग की जाने लगी है क्योंकि जूरी ने फिल्म का सही चुनाव नहीं किया है।
FWICE के अध्यक्ष ने एक
इंटरव्यू में कहा कि भारत की ओर से ‘कश्मीर फाइल्स‘ और ‘आरआरआर‘ जैसी फिल्में लिस्ट
में शामिल थी, लेकिन इसके बाद भी जूरी ने एक
विदेशी फिल्म को चुन लिया है जो बिलकुल भी ठीक नहीं है। इसके साथ ही जूरी पर आरोप
लगाते हुए कहा कि जूरी के ज्यादातर लोग फिल्में देखते तक नहीं है। उनका तो यहां तक
कहना है कि अगर इस फिल्म को ऑस्कर के लिए भेजा गया तो इससे भारत का नाम खराब होगा।
‘छेलो शो‘ को लेकर विवाद यहीं थमता नजर नहीं आ रहा है। बता दें कि
कुछ समय पहले इस बात को लेकर भी फिल्म विवादों में आ गई थी कि ये फिल्म एक हॉलीवुड फिल्म ‘सिनेमा पैराडाइसो‘ की कॉपी है। इस वजह से भी इस फिल्म के ऑस्कर से नाम वापस लेने की मांग की जा
रही थी। इन विवादों को देखते हुए लगातार इस बात की मांग हो रही है कि जूरी को दोबारा
किसी फिल्म का चुनाव करना चाहिए और ‘छेली शो’ को बाहर कर देना चाहिए ।
बता दें कि फिल्म
‘छेलो शो‘ इंडिया में 14 अक्टूबर को रिलीज होने वाली है। साथ ही फिल्म को ऑस्कर में भेजने की अनाउंसमेंट फिल्म ‘फेडरेशन ऑफ इंडिया’ यानि FFI ने की थी। इस
फिल्म का इंग्लिश टाइटल ‘लास्ट फिल्म शो‘
रखा गया है। अब फिल्म को लेकर हो रहे इन तमाम
विवादों के बाद देखना ये है कि ये फिल्म अभी भी ऑस्कर में अपनी जगह कायम रख पाती
है, या फिर जूरी अपने फैसले
पर दोबारा से कोई विचार करेंगी।