मशहूर कोरियोग्राफर सरोज खान का दिल का दौरा (कार्डियक अरेस्ट) पड़ने से निधन हो गया। वह 71 वर्ष की थीं। सांस लेने में तकलीफ के बाद उन्हें पिछले शनिवार को गुरु नानक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां उनकी कोविड-19 की जांच भी की गई, जिसकी रिपोर्ट में उनके संक्रमित ना होने की पुष्टि हुई।
मिली जानकारी के मुताबिक, ‘‘ देर रात करीब ढाई बजे दिल का दौरा पड़ने से उनका अस्पताल में निधन हो गया।’’ तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकी सरोज खान ने बॉलीवुड के कई हिट गीतों की कोरियोग्राफी की है। हालांकि पिछले कुछ समय से वह बीमार चल रही थी।
अपने चार दशक के करियर में उन्होंने 2000 से अधिक गीतों की कोरियोग्राफी की, जिसमें फिल्म ‘देवदास’ का ‘डोला रे डोला’, ‘तेजाब’ का ‘एक दो तीन’ और ‘जब वी मेट’ का ‘ये इश्क हाय’ जैसे हिट गीत इनमें शामिल है। खान ने आखिरी बार 2019 में आई फिल्म ‘कलंक’ में माधुरी दीक्षित के लिए गीत ‘तबाह हो गए’ की कोरियोग्राफी की थी।
बाल कलाकार के तौर पर अपने करियर की शुरूआत कर बॉलीवुड में सभी स्टार्स को अपनी ताल पर नचाने वाली सरोज खान ने कोरियोग्राफर के रूप में अपनी सशक्त पहचान बनायी। बाइस नवंबर 1948 को जन्मीं सरोज खान का असली नाम निर्मला नागपाल है। सरोज खान ने सिर्फ तीन साल की उम्र से ही बाल कलाकार के रूप में फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था। उनकी पहली फिल्म नजराना थी जिसमें उन्होंने श्यामा नाम की बच्ची का किरदार निभाया था।
पचास के दशक में सरोज ने बतौर बैकग्राउंड डांसर काम करना शुरू कर दिया। सरोज ने फेमस डांसर बी.सोहनलाल से कथक, मणिपुरी, कथकली, भरतनाटयम आदि नृत्य शैली का प्रशिक्षण लिया और 13 साल की उम्र में उन्होंने 41 साल के सोहनलाल से शादी कर ली। सोहनलाल पहले से ही शादीशुदा और चार बच्चों के पिता थे।
एक इंटरव्यू में सरोज खान ने बताया था कि जब उनकी शादी हुई, उस वक्त वह स्कूल जाया करती थीं। उन्हें शादी के मायने नहीं पता थे। मास्टर सोहनलाल ने उनके गले में एक धागा बांध दिया। उन्हें लगा कि उनकी शादी हो गई है। सरोज खान ने वर्ष 1974 में प्रदर्शित फिल्म ‘गीता मेरा नाम’ से स्वतंत्र कोरियोग्राफर के तौर पर काम करना शुरू किया।