दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को बॉलीवुड अभिनेत्री जूही चावला और दो अन्य को 5जी वायरलेस नेटवर्क टेक्नोलॉजी को चुनौती देने वाले मुकदमे के माध्यम से कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने के लिए उन पर लगाए गए 20 लाख रुपये जमा करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है।
कोर्ट फीस की वापसी और 20 लाख रुपये के जुर्माने के खिलाफ दायर की गई याचिका पर जस्टिस जे आर मिड्ढा ने कहा, “कोर्ट ने बेहद उदार रवैया अपनाते हुए जूही चावला पर कोर्ट की अवमानना का मामला नहीं दायर किया। अन्यथा केस बनता था। मैं याचिकाकर्ताओं का व्यवहार देखकर स्तब्ध हूं”।
कोर्ट ने कहा कि याचिका ‘‘दोषपूर्ण’’, ‘‘कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग’’ और ‘‘प्रचार पाने के लिए’’ दायर की गई थी। जूही चावला और सह याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए सीनियर वकील मीत मल्होत्रा ने बुधवार को कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता दायर याचिका पर जोर नहीं देते हैं। ऐसे में कोर्ट ने जूही और अन्य की ओर से दायर याचिकाओं को वापस लेने की इजाजत दे दी।
जस्टिस मिड्ढा ने कहा कि कोर्ट आज अवमानना का नोटिस जारी करने को तैयार थी। उन्होंने कहा, “आप कह रहे हैं कि कोर्ट के पास जुर्माना लगाने की ताकत नहीं है”। चावला के वकील ने कोर्ट को बताया कि वे सात दिनों के भीतर जुर्माना राशि जमा कर देंगे या अन्य विकल्पों पर विचार करेंगे। कोर्ट ने कहा कि एक तरफ तो याचिकाकर्ता अपनी याचिका को वापस ले रहे हैं और दूसरी ओर जुर्माना राशि जमा करने को भी सहर्ष तैयार नहीं हैं। बेंच ने कहा, “मैंने अपनी न्यायिक जिंदगी में ऐसे वादी नहीं देखे, जो कोर्ट फीस भी नहीं देना चाहते हों”।
बता दें कि जूही चावला की 5जी तकनीक को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस मिड्ढा ने कहा था कि वादियों- चावला और दो अन्य ने कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग और कोर्ट का समय बर्बाद किया है। जस्टिस ने कहा कि इस वाद में 5जी तकनीक के कारण स्वास्थ्य संबंधी खतरों के बारे में जो सवाल उठाए गए हैं, वे ‘‘विचारणीय नहीं है’’ और वाद में ‘‘अनावश्यक, निंदनीय और निरर्थक कथन दिये गये हैं’।