पंकज त्रिपाठी बड़े पर्दे और ओटीटी पर अपनी ज़बरदस्त एक्टिंग के लिए वाहवाही लूट रहे है। उनका हर किरदार बेहद अलग और इंटरेस्टिंग होता है। उनके एक्सप्रेशन से लेकर डायलॉग डिलीवरी तक सब कमाल है। भले ही बड़े पर्दे पर उन्हें देरी से वो पहचान मिली हो जिसके वो हक़दार है लेकिन उन्होंने साबित कर दिया कि सब्र का फल हमेशा मीठा होता है और उसमे अगर कड़ी मेहनत जोड़ दी जाए तो वो फल अमृत बन जाता है।
अब पंकज त्रिपाठी हिंदी फिल्मों में शानदार एक्टर्स की लिस्ट में टॉप पर आते हैं। इसी बीच एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में चल रहे भाषा विवाद पर उन्होंने बयान दिया है। बॉलीवुड और साउथ सिनेमा में भाषा विवाद को लेकर कई सितारों में अपनी राय रखी है। जहां कुछ सितारे बॉलीवुड और साउथ को एक मान रहे हैं, तो कुछ ऐसे भी हैं जो अपनी ही भाषा की फिल्मों में काम करना चाहते हैं।
हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान पंकज त्रिपाठी ने कहा कि वह कभी भी रीजनल फिल्में नहीं करेंगे। उनका कहना है कि दूसरी भाषा की फिल्म करने का उनका कोई प्लान नहीं है। उन्होंने इसकी वजह भी बताई। पंकज का मनना है कि उनकी आवाज उनके अदाकारी में एक अहम भूमिका निभाती है। अगर वह अपनी आवाज का इस्तेमाल ठीक से नहीं कर पाए तो अपने किरदार के साथ न्याय नहीं कर पाएंगे। अगर वह ऐसी भाषा बोलें जो उन्हें आती नहीं तो ऐसा जरूर होगा।
पंकज त्रिपाठी का कहना है कि उन्हें डबिंग करना पसंद नहीं। ऐसा हो सकता है कि दूसरी भाषा की फिल्म में अगर कोई हिंदी बोलने वाला किरदार हो तो वह फिल्म कर सकते हैं। पंकज त्रिपाठी ने बताया, फिल्म हो या वेब सीरीज मैं ऐसी भाषा बोलने में सहज नहीं हो पाता, जो मुझे आती ही नहीं है। मैं इसके पक्ष में नहीं हूं कि मेरे डायलॉग्स कोई और डब करे। मेरी एक्टिंग और मेरे ऐक्सप्रेशंस मेरी आवाज पर सूट करते हैं। वर्ना मेरा रोल अधूरा रह जाएगा।
पंकज से जब पूछा गया कि क्या वह कभी बंगाली फिल्म में काम करेंगे? पंकज ने जवाब दिया कि बंगाली का ज्ञान इतना ज्यादा नहीं है। वह बोलते हैं, आमी आप्लो आप्लो बांग्ला जानी, भलोई बूझी किंतु भलोई बोलती पारी ना। मतलब (मुझे थोड़ी थोड़ी बांग्ला आती है, समझता अच्छे से हूं लेकिन अच्छी तरह बोल नहीं पाता। यह बंगाली बोलने वाले किरदार के लिए पर्याप्त नहीं है। बता दे, अब पंकज फिल्म शेरदिल में नजर आएंगे।