बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती हर साल 14 अप्रैल को देश भर में मनाई जाती है। भारत का संविधान बनाने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। दरसअल उन्होंने ही संविधान समिति का नेतृत्व किया और आजाद भारत के पहले कानून मंत्री के रूप में कार्य किया। जातिवाद को जड़ से खत्म करने के लिए और भारत में सभी को एक समान नागरिकता का अधिकार दिलाने के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया। आज उनकी जयंती पर हम उन फिल्मों की बात करेंगे जो जाति व्यवस्था और दलितों के ईर्द-गिर्द बुनी गई हैं।
बैंडिट क्वीन
इस लिस्ट में सबसे पहले नंबर पर हैं बैंडिट क्वीन यह एक दलित लड़की की कहानी है। जिसे बलात्कार और मानसिक हमलों का लगातार सामना करना पड़ता है। इसके बाद वह हथियार उठा लेती है और डकैत बन जाती है। यह फिल्म भारत की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक मानी जाती है। फिल्म में सीमा बिस्वास ने फूलन देवी का किरदार निभाया था।फूलन के जीवनी पर आधारित फ़िल्म 'बैंडिट क्वीन' में लिखा है कि वह 20 साल की उम्र में अपने एक रिश्तेदार की मदद से डाकुओं के गिरोह में शामिल हो गई। फिल्म का निर्देशन शेखर कपूर ने किया था।
आर्टिकल 15
लिस्ट में अगले नंबर पर हैं आर्टिकल 15 यह फिल्म बड़े पैमाने पर जातिगत भेदभाव के इर्द-गिर्द घूमती है। फिल्म में आयुष्मान एक पुलिस अधिकारी की भूमिका में नजर आए थे। जो दो दलित लड़कियों की हत्या की जांच करता है। इस दौरान उसके सामने कई मुश्किलें आती हैं। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त हिट रही थी। फिल्म का निर्देशन अनुभव सिन्हा ने किया था। वहीं अगर कास्ट की बात की जाय तो ईशा तलवार, सयानी गुप्ता और मनोज पाहवा मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म 28 जून 2019 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी।
आरक्षण
इस फील के नाम से ही जाहिर है कि फिल्म आरक्षण व्यवस्था को लेकर बनाई गई थी। फिल्म का निर्देशन प्रकाश झा ने किया था। इस फिल्म में सैफ अली खान, अमिताभ बच्चन, दीपिका पादुकोण, मनोज वाजपेयी जैसे सितारों ने काम किया था। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर औसत रही थी। हालांकि इस फिल्म को लेकर काफी विवाद हुआ था। यूपी, आंध्र प्रदेश और पंजाब में फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन इन सबके बावजूद फिल्म दिल्ली समेत कई राज्यों में रिलीज़ हुई है। और सी वजह से फिल्म बॉक्स ऑफिस पर औसत रही थी
मांझी
फिल्म मांझी एक्टर नवाजुद्दीन के करियर की बेहतरीन फिल्मों में से एक है। इस फिल्म में उनके एक्टिंग की जबरदस्त तारीफ हुई थी। यह फिल्म एक ऐसे दलित शख्स की कहानी है जिसकी पत्नी को रोज पहाड़ चढ़कर जाना पड़ता था। एक दिन वह पहाड़ से फिसल जाती है और उसकी मौत हो जाती है। इसके बाद मांझी खुद के दम पर पहाड़ के बीच में से रास्ता निकाल देता है। इस फिल्म को बेस्ट मोटिवेशनल फिल्म भी कहा जाता है।और फिल्म ने अपने नाम के अवार्ड भी दर्ज किए हैं।