बॉलीवुड इंडस्ट्री में काफी समय से एक शब्द का ज़िक्र बार- बार सुनाई दिया, वो शब्द था नेपोटिज़्म। पिछले कुछ सालो में बॉलीवुड में चल रहे नेपोटिज़्म पर कई विवाद हुए। कई एक्टर्स को ट्रॉल्लिंग का सामना करना पड़ा साथ ही देश का गुस्सा भी झेलना पड़ा। कुछ इनसाइडर ने इसे सपोर्ट किया तो वही आउटासाइडर भी नेपोटिज़्म को लेकर खुलकर बोलने लगे। अब तक कई स्टार्स और स्टार किड्स के रिएक्शन इस मुद्दे पर सामने आ चुके है लेकिन अब इस बारे में अमरीश पुरी के पोते वर्धन पुरी ने बात की है।
आपको बता दे, वर्धन पुरी के मम्मी-पापा का इस इंडस्ट्री से कोई नाता नहीं हैं, लेकिन उनके दादा अमरीश पुरी बॉलीवुड के लीजेंडरी एक्टर थे। वही, वर्धन ने भी साल 2019 में बॉलीवुड डेब्यू किया है। लेकिन क्या अमरीश पुरी का पोता होना उनके लिए मददगार साबित हुआ या नहीं इस बारे में ख़ुद एक्टर ने बताया है। मीडिया से बातचीत में वर्धन ने कहा, ‘अमरीश पुरी के पोते होने के नाते मुझे जिंदगी, सिनेमा, एक्टिंग और थिएटर के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला। ये एक प्रिवलेज था।’
एक्टर ने आगे बताया ‘किसी ने मुझे आज तक नेपो किड कहकर नहीं बुलाया। जब मेरे दादा गुजऱे उस वक्त मैं काफी यंग था और थिएटर करता था। उन्होंने मेरे लिए कभी कोई कॉल नहीं किया, कभी मुझे कास्ट करने के लिए किसी से बात नहीं की, न किसी के ऑफिस गए।'
'बल्कि वो अगर आज जिंदा होते तो भी मेरे लिए ये सब नहीं करते क्योंकि दादा हमेशा इस बात में यकीन रखते थे कि अगर आप किसी चीज़ को पाने की चाहत रखते हैं तो अपने दम पर पाएं, अपनी मेहनत से बनें। क्योंकि अगर वो चीज़ आपको प्लेट में परोसी हुई मिल रही है तो आप सिर्फ एक ही फिल्म में सर्वाइव कर पाओगे। उसके बाद आप नीचे गिरते जाओगे क्योंकि आप ख़ुद को संभालने के लिए मज़बूत नहीं होगे। आपके पैर तभी मजबूत होंगे जब आप उस ऊंचाई तक पहुंचने के लिए ख़ुद मेहनत करोगे।'
अपने करियर के बारे में बात करते हुए वर्धन ने कहा, ‘मुझे लगता है मैं ऐसा शख्स हूं जिसने इतने ऑडिशन दिए हैं इतने स्क्रीन टेस्ट दिए जितने किसी ने नहीं दिए होंगे। चाहें वो इनसाइडर हो या आउटासाइडर। मैंने कई बार इंटरव्यू किया जिसके बाद मुझे असिस्टेंट डायरेक्टर की जॉब मिली उसके बाद मैं असिस्टेंट राइटर बना। मैंने कई सालों तक थिएटर किया। अगर मुझे फिल्म में चांस मिल तो सिर्फ अपनी मेहनत के बल पर, न की इसलिए की मैं अमरीश पुर का पोता हूं।'