रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 2.11 लाख करोड़ रुपये की पूंजी उपलब्ध कराने का फैसला भारत के आर्थिक भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिहाज से एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के समक्ष आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिये व्यापक नीतिगत उपाय भी किये जायेंगे।
सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को दो साल में 2.11 लाख करोड़ रुपये की पूंजी उपलब्ध कराने की घोषणा की है। इस राशि में से 1.35 लाख करोड़ रुपये बांड जारी कर जुटाये जायेंगे। शेष 76,000 करोड़ रुपये की राशि बजट समर्थन और पूंजी बाजार से जुटाये जायेंगे। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कल इसकी घोषणा की। उर्जित पटेल ने सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुये एक वक्तव्य जारी कर कहा कि मजबूत पूंजी आधार वाली बैंकिंग प्रणाली सतत आर्थिक वृद्धि के लिये जरूरी है।
उन्होंने कहा, आर्थिक इतिहास ने बार बार हमें यह दिखाया है कि केवल स्वस्थ बैंक ही मजबूत कंपनियों और कर्ज लेनदारों को ऋण दे सकते हैं और इसी से ही निवेश वृद्धि और रोजगार सृजन का पूरा चक्र बनता है। उन्होंने कहा-सरकार ने देश के बैंकिंग क्षेत्र की स्थिति में सुधार के लिये जो यह निर्णायक कदम उठाया है, रिजर्व बैंक की नजर में यह देश के आर्थिक भविष्य को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर-निष्पादित राशि जो कि मार्च 2015 में 2.75 लाख करोड़ रुपये थी दोगुने से भी अधिक बढ़कर 7.33 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई। पिछले एक दशक में हमारे सामने यह पहला मौका है जब हम बैंकिंग क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान करने के लिये टुकड़े में छोटे छोटे कदम उठाने के बजाय व्यापक स्तर पर सभी नीतिगत उपायों को आगे बढ़ा सकते हैं।
बैंकों को पूंजी उपलब्ध कराने के लिये बांड जारी करने पर सरकार पर 8,000 से 9,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ सकता है। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन ने यह जानकारी दी है। मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने भी कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 2.11 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डालने की योजना उल्लेखनीय रूप से सकारात्मक कदम है। इससे बैंकों के कमजोर पूंजी आधार की समस्या को दूर करने में मदद मिलेगी।