नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि सरकारी बैंकों को अपने अधिकारियों के विरुद्ध लंबित सतर्कता मामलों को निपटाने के निर्देश दिये गये है और जो सही एवं विवेक से लिए गये मामले हैं उनके लिए बैंकों को केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) और केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) से डरने की जरूरत नहीं है।
सीतारमण ने सरकारी एवं निजी बैंक प्रमुखों के साथ बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा के बाद शनिवार को यहां संवाददाताओं से कहा कि पहली बार इस बैठक में सीबीआई निदेशक एवं संयुक्त निदेशक भी शामिल हुये हैं। उन्होंने कहा कि वह प्रवर्तन निदेशालय, राजस्व खुफिया निदेशालय और आयकर विभाग के अधिकारियों के साथ भी इस तरह की बैठक करेंगी और उन्हें भी बैंक अधिकारियों को धोखाधड़ी से जुड़े मामलों में सतर्कता बरतने के बारे में बताने की अपील करेंगी।
उन्होंने कहा कि बैंकरों को आश्वस्त किया गया है कि विवेक से लिये गये वाणिज्यिक निर्णय की संरक्षा की जायेगी और उसके लिए किसी भी बैंकर को डरने की जरूरत नहीं है। इस बैठक में यह भी निर्णय लिया गया है कि आयकर विभाग द्वारा नोटिस भेजने के लिए बनाये गये तंत्र की तरह सीबीआई भी एक तंत्र विकसित करेगा जिससे केन्द्रीय जांच एजेंसी के सभी नोटिस पर एक पंजीयन नंबर होगा जिससे अनाधिकत पत्राचार और किसी तरह के उत्पीड़न की आशंका समाप्त हो जायेगी।
चार सरकारी बैंकों को मिलेंगे 8,855 करोड़
सार्वजनिक क्षेत्र के चार बैंकों में शीघ्र ही सरकार 8,855 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को यहां बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा के बाद संवाददाताओं से कहा कि बैंकों का मजबूत बनाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।
वर्ष 2025 तक पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था की और बढ़ने के लिए ऋण उठाव में आने वाली मांग की पूर्ति के लिए सरकारी बैंक पूरी तरह से तैयार है और उनके संपदा की गुणवत्ता तथा आतंरिक संसाधन सृजन में सुधार हुआ है। सीतारमण ने कहा कि सरकार द्वारा लगातार किये गये सुधारों से बैंकों की स्थिति बेहतर हुयी है और चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 13 बैंकों ने मुनाफा कमाया है।