केंद्र सरकार ने पेंशनभोगियों के महंगाई राहत (डीआर) को जारी करने के अनुरोध को ठुकरा दिया है, जो कोविड-19 महामारी की शुरुआती अवधि के दौरान आयोजित किया गया था। दरअसल, लॉकडाउन के दौरान अन्य तात्कालिक खर्चों को पूरा करने के लिए राशि को फ्रीज किया गया था। जिसकी तीन किस्तों को जारी करने की गुजारिश को नामंजूर कर दिया है।
जानिए DA और DR को क्यों रोका गया?
कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न हुई आपातकाल स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने 1 जनवरी 2020 के लिए डीए और डीआर की तीन किस्तें रोक रखी थीं। डीए और डीआर को जनवरी और जुलाई के महीने में साल में दो बार संशोधित किया जाता है। पिछले साल अगस्त में राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि डीए और डीआर को वापस लेने से “लगभग 34,402 करोड़ रुपये की बचत हुई”। बता दें कि इस फ्रीज को जुलाई 2021 में हटा दिया गया था।
सरकार पहले रोके गए DR को नहीं करेगी जारी
केंद्रीय पेंशनभोगी कल्याण मंत्री जितेंद्र सिंह की अध्यक्षता में पेंशन नियमों की समीक्षा और युक्तिकरण के लिए स्वैच्छिक एजेंसियों की स्थायी समिति की 32वीं बैठक सोमवार को हुई। बैठक के दौरान, “व्यय विभाग (डीओई) के एक प्रतिनिधि ने बताया कि फ्रीज हुए डीए और डीआर की राशि को जारी नहीं किया जाएगा”।
DA और DR में हुई हालिया बढ़ोतरी
केंद्र सरकार ने हाल ही में डीए और डीआर में बढ़ोतरी की थी, जुलाई 2021 के बाद से जब फ्रीज हटा लिया गया था, डीए और डीआर में तीन बढ़ोतरी हुई है और लगभग दोगुनी हो गई है। जुलाई 2021 में केंद्र ने लंबे विराम के बाद केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए डीए और डीआर को 17 प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत कर दिया था। अक्टूबर 2021 में फिर से केंद्र सरकार के कर्मचारियों ने महंगाई भत्ते में 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी। फिर केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए डीए बढ़कर 31 प्रतिशत कर दिया। अब जनवरी 2022 से वेतनभोगियों को डीए और डीआर का भुगतान 34 प्रतिशत की दर से किया जाएगा, जो पहले 31 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा था।