मुंबई : सीजी पावर इंडस्ट्रियल साल्यूशंस के पूर्व गैर कार्यकारी चेयरमैन गौतम थापर ने धन के कथित दुरुपयोग के आरोपों को खारिज करते हुए एक कंपनी से दूसरी कंपनी को कर्ज के लिए निदेशक मंडल की मंजूरियों का हवाला दिया है। कंपनी के कामकाज के संचालन में खामियां नियामकीय जांच के घेरे में हैं। थापर की ओर से सरकार को सौंपे गए दस्तावेजों में इन आरोपों से इनकार किया गया है।
कॉरपोरेट मंत्रालय को नवंबर के शुरू में सौंपे 36 पृष्ठ के दस्तावेजों में थार ने विभिन्न मुद्दों पर कागज उपलब्ध कराए हैं। इनमें कंपनी से कंपनी को कर्ज, बोर्ड बैठकों का ब्योरा और स्टैंडर्ड चार्टर्ड सिंगापुर और येस बैंक जैसे ऋणदाताओं से मिले कर्ज का उल्लेख है। थापर को 30 अगस्त को तड़के बोर्डरूम मतभेद में पद से हटा दिया गया था। वैश्य एसोसिएट्स की आडिट रिपोर्ट के बाद बोर्ड ने थापर को बर्खास्त कर दिया था। यह रिपोर्ट खुद 23 खंडनों पर आधारित है। रिपोर्ट में दावा किया गया कि थापर ने सीजी पावर से 3,000 करोड़ रुपये की गड़बड़ी की।
गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) ने भी सीजी पावर और समूह की 15 इकाइयों के खिलाफ जांच शुरू की है। मंत्रालय ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण से कंपनी के बही खातों को फिर से बनाने के लिए अपील की है। इस पर सोमवार को निर्णय आने की उम्मीद है। इनके अनुसार स्टैंडर्ड चार्टर्ड सिंगापुर ने कैसे सीजी सिंगापुर को 14 फरवरी, 2018 को 4.4 करोड़ डॉलर का कर्ज दिया।
बाद में यह पूरा धन अन्य समूह की इकाई एआईए और अवांता के जरिये सीजी इंटरनेशनल नीदरलैंड को दिया गया। यह पूरी राशि सीजी इंटरनेशनल नीदरलैंड को उसी दिन स्थानांतरित कर दी गई। दस्तावेजों के अनुसार बाद में कंपनी ने यह सारा धन स्टैंडर्ड चार्टर्ड सिंगापुर को भुगतान कर दिया।इस तरह खाता मानक वाला हो गया है। मुख्य आरोप सीजी पावर और समूह के इकाइयों के बीच धन को डालने और निकालने से है।
थापर ने दावा किया है कि इस तरह का मार्ग ऋणदाताओं के सुझाव पर अपनाया गया क्योंकि सीजी पावर नकदी का संकट झेल रही थी। दस्तावेजों के अनुसार आदित्य बिड़ला फाइनेंस ओर येस बैंक ने भी 2016 से 2019 के दौरान सीजी पावर को इसी तरह धन लेने की अनुमति दी।