नई दिल्ली : अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में इस सप्ताह के आखिर में आई भारी गिरावट के बाद अब भारत में पेट्रोल और डीजल की महंगाई की आशंका कम हुई हैं। भू-राजनीतिक दबाव के कारण तेल की कीमतों में इस सप्ताह भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। ब्रेंट क्रूड का भाव हालांकि पिछले सप्ताह के मुकाबले तकरीबन सपाट बंद हुआ।
ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध के बाद नवंबर में दुनिया के जिन देशों को ईरान से तेल आयात करने की अनुमति दी गई थी, अमेरिका ने उन देशों को अब दो मई के बाद छूट नहीं देने का फैसला लिया है। इस फैसले के कारण सप्ताह के दौरान तेल के दाम में भारी उछाल आया, लेकिन सप्ताह के आखिर में ईरान से तेल की आपूर्ति में होने वाली कमी की भरपाई के मद्दनेनजर ओपेक के अन्य देशों की ओर से संकेत मिलने के कारण शुक्रवार को तेल के दाम में भारी गिरावट आई।
एंजेल कमोडिटी के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट-ऊर्जा, करेंसी रिसर्च-अनुज गुप्ता ने कहा कि बताया जाता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के हस्तक्षेप के बाद अब ओपेक में शामिल सउदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात तेल का उत्पादन बढ़ा सकते हैं। यही कारण है कि सप्ताह के आखिरी कारोबारी सत्र में तेल के दाम पर दबाव दिखा जिसकी वजह ऊंचे भाव पर मुनाफावसूली भी थी। गुप्ता ने कहा कि कच्चे तेल के भाव में आगे अगर और मंदी आएगी तो पेट्रोल और डीजल के दाम में वृद्धि पर ब्रेक लग जाएगा।
अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज-आईसीई-पर ब्रेंट क्रूड का जून अनुबंध पिछले सत्र के मुकाबले शुक्रवार को 3.67 फीसदी की गिरावट के साथ 71.62 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ। इस सप्ताह ब्रेंट क्रूड 75.60 डॉलर प्रति बैरल तक उछला था, जो कि अक्टूबर 2018 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है।