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हरदीप पुरी के साथ एयर इंडिया यूनियनों की बैठक में उठ सकती हैं वीआरएस पैकेज की मांग

राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया के कर्मचारियों की यूनियनों की सोमवार को नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी के साथ दूसरी बैठक होने जा रही है।

राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया के कर्मचारियों की यूनियनों की सोमवार को नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी के साथ दूसरी बैठक होने जा रही है। समझा जाता है कि यूनियनें इस बैठक में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) की उठा सकती हैं। पुरी की एयर इंडिया की करीब एक दर्जन यूनियनों के साथ बैठक होगी। इसमें बिना मान्यता वाली यूनियनें भी शामिल हैं। एयरलाइन का निजीकरण करने की योजना के तहत यह एक माह में मंत्री की एयर इंडिया से जुड़ी यूनियनों के साथ दूसरी बैठक होगी। 
सरकार घाटे में चल रही एयरलाइन में अपनी शतप्रतिशत यानी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए अगले सप्ताह किसी समय रुचि पत्र (ईओआई) जारी कर सकती है। इससे पहले दो जनवरी को हुई बैठक में मंत्री ने स्पष्ट कर दिया था कि सरकार के सामने एयर इंडिया का परिचालन जारी रखने के लिए निजीकरण ही एकमात्र विकल्प है। पुरी ने विनिवेश प्रक्रिया में कर्मचारियों का सहयोग मांगा था। पुरी ने यूनियनों से कहा था कि एयर इंडिया के विनिवेश पर मंत्री स्तरीय समिति की बैठक के बाद वह उनसे फिर मुलाकात करेंगे। 
एयरलाइन के एक सूत्र ने कहा, ‘‘शुरू में हमें बताया गया था कि विमानन कंपनी का निजीकरण होने के बावजूद हमारी नौकरियां सुरक्षित रहेंगी। ऐसे में हमने वीआरएस के बारे में नहीं सोचा था।’’ सूत्र ने कहा, ‘‘बाद में हमारे सदस्य हमसे संपर्क कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि हम सरकार के साथ वीआरएस पर विचार करें। इस बात की संभावना है कि निजीकरण के बाद सिर्फ एक साल तक हमारी नौकरियां सुरक्षित रहेंगी। हम सोमवार को मंत्री के साथ बैठक में यह मुद्दा उठाएंगे। ’’ 

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सूत्रों ने कहा कि यदि सरकार हमारी मांगों पर सैद्धान्तिक रूप से सहमत होती है, तो यूनियन वीआरएस पैकेज के तौर तरीके तय करेगी। इसमें नौकरी की अवधि और मौद्रिक मुआवजा आदि तय करना शामिल है। मीडिया की खबरों में कहा गया है कि नए निवेशक को एक साल तक एयर इंडिया के करीब 11,000 कर्मचारियों को कायम रखने की अनुमति होगी। उसके बाद एयरलाइन निजी हाथों में चली जाएगी। 
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अगुवाई वाले मंत्री समूह ने सात जनवरी को हुई बैठक में एयर इंडिया के विनिवेश के लिए ईओआई आमंत्रित करने और खरीद-बिक्री करार के मसौदे को मंजूरी दे दी थी। वित्त वर्ष 2018-19 में एयर इंडिया को 8,556 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था। यही नहीं एयर इंडिया को अभी प्रतिदिन 20 से 26 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है। इसके अलावा एयरलाइन पर करीब 80,000 करोड़ रुपये का कर्ज हो चुका है। 

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