नई दिल्ली : कृषि मंत्री राधामोहन सिंह नें कहा कि किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने में स्वेत क्रांति की महत्वपूर्ण भूमिका रही है और अब ‘स्वीट क्रांति एवं नीली क्रांति’ का उनकी आय दोगुना करने में अहम योगदान होगा। श्री सिंह ने वर्ल्ड फूड इंडिया 2017 में फल, सब्जी, डेयरी और मत्स्य पालन पर आधारित संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिस प्रकार डेयरी विकास बोर्ड ने दूध उत्पादन बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है उसी तरह से मधुमक्खी विकास बोर्ड ने भी ‘स्वीट क्रांति (शहद उत्पादन बढ़ाने) के लिए प्रयास शुरु कर दिये हैं। उन्होंने कहा कि पहले चरण में 100 जिलों में शहद उत्पादन बढाने तथा इसके प्रसंस्करण के लिए संयंत्रों की स्थापना के लिए राशि आवंटित कर दी गयी है। इससे लाखों किसानों को फायदा होगा और परागण के कारण फसलों का उत्पादन भी बढेगा। आठ राज्यों में पहले ही शहद केन्द्रों की स्थापना की घोषणा की जा चुकी है।
कृषि मंत्री ने कहा कि देश में‘नीली क्रांति’(मत्स्य पालन) को बढावा देने के लिए हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं और पिछले तीन साल के दौरान मछली उत्पादन में 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है। वर्ष 2014 से 2017 के दौरान 327 लाख टन मछली उत्पादन हुआ है। उन्होंने कहा कि गहरे समुद्र में मछली पकड़ने पर विशेष जोर दिया जा रहा है और इसके लिए तमिलनाडु को 200 करोड़ रुपये आवंटित भी किये गये हैं। श्री सिंह ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग किसानों की आय दोगुना करने में अहम भूमिका निभा सकता है। इसके लिए आधारभूत सुविधाओं के विकास के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना की शुरुआत की गयी है। इस योजना के तहत 6000 करोड़ रुपये का कोष बनाया गया है जिसे तीन साल के दौरान खर्च किया जायेगा। एक अनुमान के अनुसार इससे करीब पांच लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। स्वेत क्राति से दूध उत्पादन में हुयी भारी वृद्धि की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आज भारत विश्व में सबसे बड़ी दूध उत्पादक है जबकि फलो, सब्जियों, अंडों और प्रमुख खाद्यान्न फसलों के उत्पादन के अग्रणी है।
देश के आजाद होने के समय खाद्यान्नो की कमी थी। उस समय करीब 34 करोड़ की आबादी थी और प्रति व्यक्ति 130 ग्राम दूध ही उपलब्ध था जबकि आज प्रति व्यक्ति करीब 337 ग्राम दूध उपलब्ध है। किसानों की आय बढ़ाने को लेकर सरकार की ओर से किये जा रहे प्रयासों की चर्चा करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि देश में बड़ पैमाने पर कोल्ड स्टोर, कोल्ड चेन, मेगा फूड पार्क आदि की स्थापना की जा रही है। देसी दुधारु पशुओं में नस्ल सुधार के लिए कई योजनाएं चलायी जा रही है और लगभग 30 हजार कर्मियों को कृत्रिम गर्भाधान के क्षेत्र में प्रशिक्षित किया जा रहा है। इससे किसानों को उनके घर के पास ही पशुओं की समस्याओं का समाधान मिलेगा।