नई दिल्ली : आ रहे त्योहारी सीजन में खाद्य तेल महंगा हो सकता है, क्योंकि पिछले महीने तेल के आयात में 27 फीसदी की गिरावट आई है। त्योहारी सीजन में तेल की खपत बढ़ने और आपूर्ति घटने से कीमतों में तेजी आना स्वाभाविक है। हालांकि तेल उद्योग का कहना है कि आपूर्ति का अभाव नहीं रहेगा, क्योंकि इस खरीफ सीजन में तिलहनों का रकबा ज्यादा होने से फसल पिछले साल से ज्यादा रहेगी। खाद्य तेल बाजार के जानकार बताते हैं कि आयात शुल्क बढ़ने और डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट आने से विदेशों से खाद्य तेल मंगाना महंगा हो गया है, जिस कारण आयात में लगातार गिरावट देखी जा रही है।
आयात कम होने से निस्संदेह घरेलू उद्योग को फायदा होगा, लेकिन उपभोक्ताओं पर महंगाई की मार पड़ेगी। खाद्य तेल उद्योग सॉल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोएिशन ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2018 में कुल वनस्पति तेल (खाद्य एवं अखाद्य तेल) का आयात 11,19,538 टन रहा, जबकि पिछले साल जुलाई-2017 में वनस्पति तेल का कुल आयात 15,24,724 टन था। इस प्रकार पिछले साल के मुकाबले बीते महीने तेल के आयात में 27 फीसदी की गिरावट आई।
केंद्र ने खाद्य तेल पर आयात शुल्क बढ़ाया
जुलाई में पाम तेल का आयात 5,50,180 टन हुआ। वहीं सूर्यमुखी तेल 1,39,174 टन, सोयाबीन तेल 3,52,325 टन और कनोला 12,034 टन आयात किया गया। एक अगस्त को पोर्ट स्टॉक और पाइपलाइन को मिलाकर खाद्य तेल का स्टॉक 15.47 लाख टन रहा जो जून के मुकाबले 1.5 फीसदी कम है। वहीं, नवंबर-2017 से लेकर जुलाई-2018 तक भारत ने कुल 1,07,66,076 टन वनस्पति तेल का आयात किया जोकि पिछले साल की समान अवधिक के 1,13,92,296 टन के मुकाबले 5.5 फीसदी कम है। देश में हर साल घरेलू खपत की पूर्ति के लिए तकरीबन 150 लाख टन तेल का आयात करना पड़ता है।