अब प्लास्टिक से बनेगी बिजली - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

अब प्लास्टिक से बनेगी बिजली

NULL

नई दिल्ली : चिप्स, बिस्कुट, केक और चाकलेट जैसे खाद्य पदार्थों की पैकिंग में इस्तेमाल होने वाले चमकीले प्लास्टिक का इस्तेमाल अब बिजली घर में इंधन के तौर पर किया जायेगा। देश में अपनी तरह का ऐसा पहला प्रयोग यहां गाजीपुर स्थित कूड़े से बिजली बनाने वाले संयंत्र में शुरू हो गया है जबकि चंडीगढ़, मुंबई व देहरादून सहित आठ और शहरों में भी यह काम जल्द शुरू होने की उम्मीद है। गैर-सरकारी संगठन भारतीय प्रदूषण नियंत्रण संस्थान (आईपीसीए) के निदेशक के अनुसार इस तरह के प्लास्टिक का इस्तेमाल यहां गाजीपुर स्थित बिजलीघर में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में दुनिया में सबसे अधिक प्लास्टिक के सामान का इस्तेमाल होता है, इस लिहाज से इस तरह के प्लास्टिक के निस्तारण की शुरुआत महत्वपूर्ण है।

उल्लेखनीय है कि बिस्कुट, नमकीन, केक, चिप्स सहित कई अन्य खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग के लिए एक विशेष चमकीले प्लास्टिक मल्टी लेयर्ड प्लास्टिक (एमएलपी) का इस्तेमाल होता है। इस प्लास्टिक में खाद्य पदार्थ तो सुरक्षित रहते हैं लेकिन इसका निपटान टेढ़ी खीर है। यह न तो गलता है और न ही नष्ट होता है। इसलिए ऐसा एमएलपी कचरा दिन ब दिन बड़ी समस्या बनता जा रहा है। कूड़ा बीनने वाले भी इसे नहीं उठाते क्योंकि इसका आगे इस्तेमाल नहीं होता है। आईपीसीए ने ऐसे नॉन-रिसाइक्लिबल प्लास्टिक कूड़े को एकत्रित करने और उसे बिजली घर तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है। यह परियोजना मुख्य रूप से एमएलपी कचरे के निपटान पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि वी केयर परियोजना के तहत आईपीसीए कचरा बीनने वालों के साथ-साथ बड़े कचरा स्थलों के प्रबंधकों के साथ गठजोड़ कर रही है ताकि एमएलपी को वहीं से अलग कर संयंत्र तक लाया जा सके।

गाजीपुर में संयंत्र के लिए पूर्वी दिल्ली नगर निगम के साथ गठजोड़ किया गया है। उन्होंने बताया कि गुड़गांव, फरीदाबाद, गाजियाबाद, चंडीगढ़, मुंबई व देहरादून में भी इस तरह के संयंत्र लगाने की कोशिश है। इसके लिए स्थानीय निकायों व विभिन्न कंपनियों से बातचीत चल रही है और अगले कुछ दिनों में इन शहरों में भी कोई पहल हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि शहरीकरण व बदलती जीवन शैली के चलते प्लास्टिक व इसके विभिन्न उत्पादों का उपयोग बढ़ा तो इससे पैदा होने वाले कचरा भी उसी अनुपात में बढ़ रहा है। एक अध्ययन के अनुसार प्लास्टिक का सबसे अधिक इस्तेमाल करने वाले देशों में से एक भारत में हर दिन 25,490 टन (201112) प्लास्टिक कचरा निकलता है। इसमें एमएलपी का हिस्सा 1200 टन है।

अधिक लेटेस्ट खबरों के लिए यहाँ क्लिक  करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

20 − five =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।