यूरोपीय संघ (ईयू) ने एक बार फिर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के व्यापार विवाद निपटान निकाय से भारत के खिलाफ मोबाइल फोन और उपकरण जैसे कुछ आईसीटी उत्पादों पर आयात शुल्क मामले में समिति गठित करने का आग्रह किया।
भारत विवाद समिति गठित करने को लेकर ईयू के पहले आग्रह का विरोध कर चुका है।
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘अब यूरोपीय संघ के इस मुद्दे पर समिति गठित करने के आग्रह पर विवाद निपटान निकाय की 30 मार्च को होने वाली अगली बैठक में विचार किया जाएगा। यूरोपीय संघ का यह दूसरा अनुरोध है।’’
इससे पहले, भारत ने पांच मार्च को यूरोपीय संघ के समिति गठित करने के आग्रह को लेकर निराशा जतायी थी। भारत का मानना है कि 21 मई 2019 को ईयू के साथ विचार-विमर्श रचनात्मक था और भारत यूरोपीय संघ द्वारा उठायी गयी चिंताओं का समाधान करने में सक्षम था। उसने सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के कुछ उत्पादों पर शुल्क के संबंध में अपने उपयों के बारे में जानकारी दी थी।
यूरोपीय संघ 2 अप्रैल को आईसीटी से जुड़े कुछ उत्पादों पर आयात शुल्क लगाने को लेकर भारत को डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटान समिति में घसीटा था। उसका कहना है कि यह वैश्विक व्यापार नियमों का उल्लंघन है।
इन उत्पादों में मोबाइल फोन और कल-पुर्जे, एकीकृत सर्किट और आप्टिकल उत्पाद शामिल हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘‘भारत सूचना प्रौद्योगिकी उत्पाद (आईटीए-1) को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है और वर्षों से इसका पालन कर रहा है। भारत ने आईटीए-1 पर 1997 में दस्तखत किया और प्रतिबद्धता का ब्योरा दिया जिसे बाद प्रमाणित किया गया।’’
उसने कहा कि भारत मामले के द्विपक्षीय स्तर पर समाधान को लेकर यूरोपीय संघ के साथ सहयोग का इच्छुक है।