कोरोना महामारी के बीच, वित्त वर्ष 2019-20 में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 44 प्रतिशत बढ़कर 90.47 करोड़ डॉलर हो गया है। सरकारी आंकड़ों में इसकी जानकारी मिली। इस क्षेत्र में वित्त वर्ष 2018-19 में 62.82 करोड़ डॉलर और वित्त वर्ष 2017-18 में 90.49 करोड़ डॉलर का एफडीआई आया था।
खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘भारत सरकार द्वारा 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति और व्यापार करने में आसानी के साथ, भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र ने वैश्विक निवेशकों को आकर्षित किया। वित्त वर्ष 2019-20 में 2018-19 की तुलना में 44 प्रतिशत अधिक, 90.47 करोड़ डॉलर का एफडीआई प्राप्त हुआ।’’ अभी खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति स्वचालित मार्ग से होती है। केंद्र सरकार ने 2016 में इसकी अनुमति दी।
इस बीच, केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और उद्योग मंत्री नितिन गडकरी ने रोजगार, विकास और स्थिरता को भारतीय अर्थव्यवस्था का केंद्र, करार देते हुए गुरुवार को कहा कि आर्थिक वृद्धि के लिए कृषि और छोटे रोजगार पर ध्यान देना होगा। गडकरी ने ऊर्जा, पर्यावरण एवं जल परिषद के एक कार्यक्रम को वीडियो के जरिये संबोधित करते हुये कहा कि भारत ने कोरोना महामारी के संकट से उभरने की योजना तैयार कर ली है। स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन, विकास और स्थिरता इसके आधार हैं। सरकार की नीतियां, कार्यक्रम और योजनाओं के केंद, में ये तीनों तत्व मौजूद हैं।
केंद्रीय मंत्री ने इस अवसर पर रोजगार, विकास और स्थिरता पर एक रिपोर्ट भी जारी की। इस मौके पर प्रसिद्ध उद्योगपति जमशेद गोदरेज, डॉ.अनिल काकोडकर और डॉ नौशाद फॉर्ब्स भी उपस्थित थे। गडकरी ने कहा कि उद्योगों को आकांक्षी जिलों में कृषि, ग्रामीण संसाधन और आदिवासी क्षेत्रों पर ध्यान देना चाहिए। अर्थव्यवस्था के विकास के लिये ये क्षेत्र महत्वपूर्ण हैं। इन क्षेत्रों पर ध्यान देने से रोजगार के व्यापक अवसर पैदा किये जा सकते हैं और शहरों में भीड़ घटाई जा सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं।