नई दिल्ली : आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने शनिवार को विश्वास व्यक्त किया कि 2018- 19 की समाप्ति 3.3 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के साथ हो सकती है। यह आंकड़ा बजट में राजकोषीय घाटा 3.4 प्रतिशत रहने के संशोधित अनुमान से कम है। इससे पहले बजट अनुमान में इसके 3.3 प्रतिशत ही रहने का अनुमान रखा गया था। उन्होंने कहा कि सरकार ने 2020-21 तक राजकोषीय घाटे को तीन प्रतिशत और प्राथमिक घाटे को पूरी तरह समापत करने के तय लक्ष्य को बरकरार रखा है।
गर्ग ने साक्षात्कार में कहा कि पिछले दो साल के दौरान तय रास्ते से विचलन बहुत मामूली रहा है। दूसरे यह तय रास्ते के रूझानों से आगे नहीं गये हैं। इस साल इसे 3.3 प्रतिशत रहना चाहिये था, यह 3.4 प्रतिशत रहा जो कि 3.5 प्रतिशत से कम है। हम वित्त वर्ष की समाप्ति 3.3 प्रतिशत राजकोषीय घाटे के साथ कर सकते हैं और अपने बजट अनुमान पर टिके रह सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह यह रास्ता 2020-21 तक तीन प्रतिशत राजकोषीय घाटे की तरफ जाता है।
इसमें मात्र 0.3 अथवा 0.4 प्रतिशत के समायोजन की आवश्यकता है। मेरा मानना है कि हम इसे 2020-21 में निश्चित तौर पर कर सकते हैं। मेरा मानना है कि हमें इसे (वित्तीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन अधिनियम) संशोधित करने की आवश्यकता नहीं है। संसद में शुक्रवार को पेश अंतरिम बजट में 2019- 20 के लिये राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।
इसके साथ ही सरकार ने आने वाले वर्षों में राजकोषीय घाटे को कम करने की योजना का भी खुलासा किया है। इसमें कहा गया है कि 2020- 21 तक राजकोषीय घाटे को जीडीपी का तीन प्रतिशत और प्राथमिक घाटे को पूरी तरह समाप्त करने की दिशा तय की गई है।