कोरोना महामारी के चलते चरमराई हुई अर्थव्यवस्था के बीच, देश का विदेश मुद्रा का भंडार पहली बार 500 अरब डॉलर के पार पहुंच गय है। शुक्रवार को रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक पांच जून को समाप्त सप्ताह में विदेश मुद्रा भंडार लगातार छठे सप्ताह बढ़ता हुआ 501.70 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। सप्ताह के दौरान इसमें 8.22 अरब डॉलर की जबरदस्त वृद्धि देखी गई। इससे पहले 29 मई को समाप्त सप्ताह में यह 3.44 अरब डॉलर बढ़कर 493.48 अरब डॉलर रहा था।
भारत समेत दुनिया के सिर्फ पाँच देशों के पास 500 अरब डॉलर से अधिक का विदेशी मुद्रा भंडार है। इसमें चीन 3,101 अरब डॉलर के साथ शीर्ष पर है। जापान 1,378 अरब डॉलर के साथ दूसरे, स्विटजरलैंड 848 अरब डॉलर के साथ तीसरे और रूस 565 अरब डॉलर के साथ चौथे स्थान पर है जबकि भारत पांचवें नंबर पर है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार फरवरी 2002 में पहली बार 50 अरब डॉलर पर पहुंचा था। दिसंबर 2003 में यह पहली बार एक 100 अरब डॉलर, अप्रैल 2007 में 200 अरब डॉलर और फरवरी 2008 में 300 अरब डॉलर पर पहुंचा था।
वैश्विक आर्थिक मंदी के दबाव में नवंबर 2008 तक एक बार फिर घटकर विदेशी मुद्रा भंडार 245 अरब डॉलर रह गया। यहां से दुबारा 300 अरब डॉलर पर पहुंचने में सवा दो वर्ष का समय लगा। फरवरी 2011 में दुबारा यह 300 अरब डॉलर पर पहुंचा। सितंबर 2017 में विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार 400 अरब डॉलर के स्तर पर और 05 जून 2020 को समाप्त सप्ताह में 500 अरब डॉलर पर पहुंचने में कामयाब रहा।
रिजर्व बैंक के अनुसार, 05 जून को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार के सबसे बड़ घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति में 8.42 अरब डॉलर की वृद्धि हुई और सप्ताहांत पर यह 463.63 अरब डॉलर पर रहा। इस दौरान स्वर्ण भंडार 32.90 करोड़ डॉलर घटकर 32.35 अरब डॉलर रह गया। आलोच्य सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास आरक्षित निधि 12 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.28 अरब डॉलर पर और विशेष आहरण अधिकार एक करोड़ डॉलर बढ़कर 1.44 अरब डॉलर पर पहुंच गया।