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किसानों की सहायता का दायरा, राशि में वृद्धि हो : फिक्की

कृषि पैदावार बढ़ाने और मानसून की बेरुखी के खतरों से निपटने के लिए सरकार को सिंचाई परियोजनाओं में निवेश करना चाहिए।

भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने वित्त मंत्रालय को किसानों को दिया जा रहा डाययेक्ट इनकम सपोर्ट (डीआईएस) का दायरा बढ़ाने और इसमें वृद्धि करने का सुझाव दिया है। फिक्की ने वर्ष 2019-20 के लिए आगामी बजट से पहले एक ज्ञापन में वित्त मंत्रालय को आगाह करते हुए कहा है कि अर्थव्यवस्था के गंभीर मसलों पर अगर ध्यान नहीं दिया गया तो इसका बुरा प्रभाव लंबी अवधि में देखने को मिलेगा। 
उद्योग संगठन ने ज्ञापन में कहा, ‘वैश्विक स्तर पर आर्थिक मंदी के वातावरण और घरेलू मांग कमजोर रहने से भारतीय अर्थव्यवस्था में आर्थिक सुस्ती का खतरा बना हुआ है। घरेलू और वैश्विक दोनों स्तरों पर अनिश्चितताओं और आर्थिक चुनौतियों के बीच देश के आर्थिक विकास के इंजन को दोबारा ताकत प्रदान करने की सख्त जरूरत है।’ 
फिक्की ने कहा, ‘अर्थव्यवस्था में हालिया सुस्ती न सिर्फ निवेश और निर्यात में वृद्धि की रफ्तार सुस्त पड़ने से आई है बल्कि उपभोग में वृद्धि भी मंद पड़ गई है। यह गंभीर चिंता का सवाल है और अगर इनका जल्द समाधान नहीं हुआ तो इसका बुरा प्रभाव लंबी अवधि तक रहेगा।’ 
फिक्की ने कृषि क्षेत्र के संकट का समाधान करने का सुझाव देते हुए कहा कि अंतरिम बजट 2019-20 में किसानों के लिए लाई गई डायरेक्ट इन्कम सपोर्ट यानी प्रत्यक्ष आय सहायता की योजना का विस्तार किया जाना जाहिए और इसके तहत छोटे व सीमांत किसानों को दी जाने वाली 6,000 रुपये सालान की रकम में वृद्धि की जानी चाहिए। 
उद्योग संगठन का सुझाव है कि कृषि क्षेत्र की मौजूदा सब्सिडी की भी समीक्षा की जानी चाहिए और इनमें से ज्यादातर को डीआईएस में शामिल किया जाना चाहिए। फिक्की ने कहा कि कृषि पैदावार बढ़ाने और मानसून की बेरुखी के खतरों से निपटने के लिए सरकार को सिंचाई परियोजनाओं में निवेश करना चाहिए। 
उद्योग संगठन के मुताबिक, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और ग्रामीण विकास योजना के तहत कृषि फसलों के भंडारण की व्यवस्था विकसित की जानी चाहिए ताकि किसान बाजार में उनके उत्पादों के लाभकारी मूल्य होने तक अपनी फसलों को रोक सकें। फिक्की ने कहा कि कृषि से संबंधित कारोबार में बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए पांच से सात साल के लिए टैक्स होलीडेज (कर से मुक्ति) दिया जाना चाहिए। उद्योग संगठन ने अधिकतम आयकर की दर लागू करने की सीमा भी बढ़ाने की मांग की है। 

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