नई दिल्ली : सरकार जल्द ही भारतीय रिजर्व बैंक से आईएलएंडएफएस समूह की कुछ कंपनियों को दिए गए बैंक ऋण पर प्रावधान की जरूरत को टालने के लिए विशेष छूट की मांग करेगी। आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। सरकार का यह कदम संकटग्रस्त इस समूह की संपत्तियों के मौद्रिकरण के प्रयासों के बीच उठाया जा रहा है।
विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत आई एल एंड एफ एस समूह की कुछ कंपनियां समय पर अपने कर्ज का भुगतान करने में विफल रही हैं। समूह पर 91,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज बोझ है। पिछले साल के आखिर में आईएलएंडएफएस के संकट के बाद कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने उसके निदेशक मंडल को भंग कर दिया था।
सूत्रों ने बताया कि आईएलएंडएफएस की कुछ संपत्तियों के मौद्रिकरण का प्रयास किया जा रहा है और समूह के अगले चार से पांच माह में इस स्थिति से उबरने की उम्मीद है। सूत्रों ने कहा कि इसी परिप्रेक्ष्य में मंत्रालय जल्द रिजर्व बैंक से संपर्क कर आईएलएंडएफएस समूह की कंपनियों को दिये गये कर्ज के बदले बैंकों द्वारा किये जाने वाले प्रावधान की व्यवस्था से छूट की मांग करेगा।
बैंकों की गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) को लेकर रिजर्व बैंक के नियम काफी सख्त हैं। इस तरह की रियायत से सरकार को आईएलएंडएफएस के संकट को हल करने के लिए कुछ और समय मिल सकेगा। सूत्रों ने बताया कि सरकार ने आईएलएंडएफएस की कुछ ऐसी अनुषंगियों की पहचान की है जिनके एस्क्रो खाते में पर्याप्त धन है, लेकिन वे अपनी ऋण प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं कर पा रही हैं।
सूत्रों ने कहा कि सरकार रिजर्व बैंक के समक्ष मौजूदा स्थिति रखेगी तथा आईएलएंडएफएस की कुछ कंपनियों के एस्क्रो खाते में कोष के बारे में बताएगी, ताकि उसे विशेष छूट मिल सके। मंत्रालय ने मंगलवार को समूह की समस्याओं को हल करने के दिशा में हुई प्रगति की समीक्षा की। समूह की कुछ कंपनियों द्वारा लगातार भुगतान में असफल रहने के बाद सरकार ने अक्टूबर, 2018 में समूह के निदेशक मंडल को भंग कर दिया था और कोटक महिंद्रा बैंक के प्रबंध निदेशक उदय कोटक को उसका चेयरमैन नियुक्त किया।
आई एल एंड एफएस समूह की कंपनियों पर बैंकों और वित्तीय संस्थानों का बकाया कर्ज करीब 60,000 करोड़ रुपये है जबकि कुल कर्ज 91,000 करोड़ रुपये है। सार्वजनिक क्षेत्र की एलआईसी के पास आईएलएंडएफएस समूह की 25.34 प्रतिशत हिस्सेदारी है। जापान के ओरिक्स कॉरपोरेशन के पास समूह की 23.50 प्रतिशत हिस्सेदारी है।