मुंबई : नोटबंदी और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन के बाद परेशानी झेल रहे रत्न एवं आभूषण उद्योग ने सोने पर आयात शुल्क घटाकर चार प्रतिशत करने की मांग की है। इसके साथ ही तराशे और पालिश किये गये हीरे और रत्नों पर आयात शुल्क घटाकर 2.5 प्रतिशत करने की मांग की है।
उद्योग ने आगामी बजट में इन उपायों के साथ ही उद्योग के लिये कार्यशील पूंजी के वास्ते ऋण नियमों को सरल बनाने पर भी जोर दिया है। अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद (जीजेसी) के चेयरमैन अनंत पद्मनाभन ने वित्त मंत्रालय को लिखे पत्र में कहा है कि चालू खाते के घाटे (कैड) पर अंकुश के लिए सोने पर 10 प्रतिशत का आयात शुल्क लगाया गया था।
उस समय कैड काफी ऊंचे स्तर पर था। उसके बाद से कैड नीचे आया है और साथ ही व्यापार घाटा भी कम हुआ है। उन्होंने कहा कि आगामी बजट में कार्यशील पूंजी की जरूरत को पूरा करने के लिए ऋण नियमों को उदार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सोने पर ऊंचे आयात शुल्क की वजह से अवैध बाजार बढ़ा है और साथ ही इससे पीली धातु की तस्करी भी बढ़ी है जिसकी वजह से यह अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाया है।
पद्मनाभन ने कहा कि आभूषण की खरीद पर पैन कार्ड का ब्योरा देने की सीमा को बढ़ाकर पांच लाख रुपये किया जाना चाहिए। अभी दो लाख रुपये के आभूषण खरीदने पर ही पैन कार्ड की जानकारी देनी होती है।