नई दिल्ली : कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने शुक्रवार को राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के समक्ष कहा कि उसने टाटा संस को पब्लिक कंपनी से प्राइवेट कंपनी बनने की मंजूरी दे कर कोई अवैध काम नहीं किया है। कॉरपोरेट मंत्रालय की ओर ये यह दलील न्याधिकरण के समक्ष कंपनी पंजीयक (आरओसी) की ओर दायर अपील पर सुनवाई के दौरान दी गयी।
एनसीएलएटी ने अपने हालिया आदेश में साइरस मिस्त्री को टाटा संस के कार्यकारी चेयरमैन पद पर बहाल करने का आदेश दिया था और उसमें आरओसी के बारे में भी कुछ प्रतिकूल टिप्पणियां की थीं। कंपनी पंजीयक (आरओसी) ने अपील में उस आदेश की कुछ टिप्पणियों में संशोधन करने के की अपील की है। एनसीएलएटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति एस.जे. मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने कंपनी पंजीयक की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए स्पष्ट करेगा कि 18 दिसंबर के निर्णय में पंजीयक की साख पर कोई दाग नहीं लगाया गया है।
पीठ ने संकेत दिया है कि याचिका पर आदेश अगले सोमवार को आ सकता है। अपीलीय न्यायाधिकरण ने पिछले महीने टाटा संस को प्राइवेट कंपनी में बदलने की कंपनी पंजीयक की मंजूरी को रद्द कर दिया था। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कहा कि उसने सिर्फ अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया है और टाटा संस को पब्लिक कंपनी से प्राइवेट कंपनी में बदलने की प्रक्रिया में कुछ भी अवैध नहीं किया है।
मंत्रालय की तरफ से निदेशक (अभियोजन) ने अपीलीय न्यायाधिकरण को बताया कि 2015 में संशोधन के बाद से पब्लिक कंपनी को प्राइवेट कंपनी में बदलने के लिए किसी तरह की न्यूनतम निर्धारित शेयर पूंजी की जरूरत नहीं है। मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि इसके लिए कोई भी सीमा निर्धारित नहीं है। इसकी कोई जरूरत नहीं है। कारोबार करने को आसान बनाने के यह बदलाव किया गया था। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने यह भी कहा कि इस संबंध में अनुरोध आने पर कंपनी पंजीयक (मुंबई) कंपनी के दर्जे को बदलने के लिए कर्तव्य-बद्ध है।
टाटा संस को प्राइवेट कंपनी में बदलने के लिए उसकी ओर से कोई जल्दबाजी नहीं की गई थी। हालांकि, इस पर पीठ ने कहा कि जल्दबाजी आपकी ओर से नहीं बल्कि टाटा संस की ओर से थी। एनसीएलएटी ने कहा कि निदेशक मंडल जल्दी से जल्दी दर्जा बदला चाहता था…आपने इसमें मदद की। अपीलीय न्यायाधिकरण ने कहा कि आप 18 दिसंबर के निर्णय के निष्कर्षों को चुनौती दे रहे हैं। आपको सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए और इसे चुनौती देना चाहिए। न्यायाधिकरण ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने कंपनी पंजीयक पर किसी तरह का आक्षेप या दाग नहीं लगाया है।