देश के पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को बजट की तारीफ करते हुए कहा कि 2019-20 का बजट उच्च आर्थिक वृद्धि दर के रास्ते पर देश को लौटाने को लेकर स्वरुप पेश करता है। जेटली ने आगे कहा कि बजट इस बात पर आधारित है कि जो अर्थव्यवस्थाएं सूझबूझ वाली राजकोषीय नीतियों का अनुसरण करती हैं, वो राजकोषीय मोर्चे पर लापरवाही बरतने वालों की तुलना में अंतत: पुरस्कृत होती हैं।
बजट पेश होने के एक दिन बाद जेटली ने कहा कि एक बुनियादी सवाल हमेशा पूछा जाता रहा है कि अच्छा अर्थशास्त्र और चतुर राजनीति के बीच क्या चुना जाना चाहिए। बजट 2019-20 शीर्षक से अपने पोस्ट में जेटली ने बड़ी ही चतुराई से कहा, ‘‘यह विकल्प अनुचित है क्योंकि किसी भी सरकार को सत्ता में बने रहने और बेहतर प्रदर्शन के लिए दोनों की ही आवश्यकता पड़ती है। प्रधानमंत्री का पहला कार्यकाल बेहतर अर्थशास्त्र और अच्छी राजनीति का सममिश्रण का गवाह रहा है।”
साथ ही जेटली ने कहा कि बजट विकास की अपेक्षा रखने वाले भारत के लिये एक नई व सुद्रृढ राजनीतिक दिशा सृजित करता है।बजट में मध्यम वर्ग और नव-मध्यम वर्ग के हितों से जुड़े कई चीजों को प्रोत्साहन दिया गया है। इसके अंदर सस्ता मकान और इलेक्ट्रिक वाहन भी शामिल हैं।
इसके अलावा रोजगार सृजन तथा निवेश आकर्षित करने के लिये बुनियादी ढांचा, निर्माण और रीयल स्टेट क्षेत्र को भी गति देने के उपाय किये गये हैं। बजट पर बोलते हुए जेटली ने कहा, ‘‘भारत दुनिया का तीव्र आर्थिक वृद्धि वाला बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है। पिछली दो-तीन तिमाहियों में वृद्धि जरूर नरम हुर्ह है, लेकिन निश्चित रूप से बजट एक नीति दस्तावेज के रूप में आर्थिक वृद्धि के मोर्चे पर भारत को फिर से पटरी पर लाने को लेकर रूपरेखा को रखता है।’’
उल्लेखनीय है कि भारत की आर्थिक वृद्धि जनवरी-मार्च तिमाही में घटकर पांच साल के न्यूनतम स्तर 5.8 प्रतिशत रही। पूरे वित्त वर्ष 2018-19 में भी आर्थिक वृद्धि दर भी पांच साल के न्यूनतम स्तर 6.8 प्रतिशत रही। आर्थिक समीक्षा में चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है।