मुंबई : भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुवाई में बैंकों के गठजोड़ ने निजी क्षेत्र की विमानन कंपनी जेट एयरवेज को फिर खड़ा करने की अपनी ओर से की जा रही कोशिश छोड़ दी है। बैंकों के गठजोड़ ने ठप पड़ी इस एयरलाइन में फंसे अपने कर्ज के समाधान का मामला दिवाला संहिता के तहत कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में भेजने का फैसला किया है।
बैकों को अब तक के प्रयास में कर्ज में डूबी इस एयरलाइन के पुनरोद्धार के लिए किसी इकाई से कोई पुख्ता प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है। बैंकों की सोमवार को हुई बैठक में यह फैसला किया गया। एसबीआई ने बयान में कहा कि गहन विचार विमर्श के बाद ऋणदाताओं ने फैसला किया है कि दिवाला संहिता के तहत जेट एयरवेज के मामले का निपटान किया जाए। एयरलाइन के लिए सिर्फ एक बोली ही प्राप्त हुई है। उसके साथ भी शर्त जुड़ी है। बयान में कहा गया है कि यह कदम इसलिए जरूरी है क्योंकि संभावित निवेशक सौदे के तहत सेबी के कुछ छूट चाहता है।
इस तरह का सौदा दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता के तहत बेहतर तरीके से हो सकता है। बैंक ने कहा कि ऋणदाता ठप खड़ी विमानन कंपनी का समधान दिवाला संहिता (आईबीसी) से बाहर निपटाना चाहते थे, लेकिन अब आईबीसी के तहत ही निपटान का फैसला किया गया है। उल्लेखनीय है कि जेट एयरवेज के साथ व्यवसायिक सौदों में उधार देने वाली दो फर्मों शैमन व्हील्स और गग्गर एंटरप्राइजेज ने एयरलाइन के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू करने के लिए 10 जून को एनसीएलटी में अपील की थी। न्यायाधिकरण ने अभी तक इन याचिकाओं को सुनवाई के लिए स्वीकार नहीं किया है।
13 जून को न्यायाधिकरण ने इस मामले की आगे की सुनवाई के लिए 20 जून की तारीख तय की है। एनसीएलटी ने संबंधित पक्षों से जेट एयरवेज को कानूनी नोटिस भेजने को कहा है। जेट एयरवेज का परिचालन 17 अप्रैल से बंद है। एयरलाइन पर शामन व्हील्स का 8.74 करोड़ रुपये और गग्गर का 53 करोड़ रुपये का बकाया है। जेट एयरवेज पर एसबीआई की अगुवाई वाले बैंकों के गठजोड़ का 8,000 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। अभी एयरलाइन का परिचालन बैंकों द्वारा ही किया जा रहा है।