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जेपी इन्फ्राटेक के ऋणदाताओं ने समाधान योजना पर की चर्चा

जेपी इन्फ्राटेक के ऋणदाताओं ने सोमवार को कर्ज के बोझ से दबी इस कंपनी के अधिग्रहण के लिए एनबीसीसी लि. और सुरक्षा रीयल्टी द्वारा जमा कराई गई बोलियों पर विचार विमर्श किया।

नई दिल्ली : जेपी इन्फ्राटेक के ऋणदाताओं ने सोमवार को कर्ज के बोझ से दबी इस कंपनी के अधिग्रहण के लिए एनबीसीसी लि. और सुरक्षा रीयल्टी द्वारा जमा कराई गई बोलियों पर विचार विमर्श किया। सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि ऋणदाताओं की नवंबर के आखिरी सप्ताह में फिर बैठक होगी जिसमें दोनों बोली जमा कराने वाली कंपनियों से बातचीत की जाएगी। सूत्रों ने बताया कि ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) सोमवार को हरियाणा के गुरुग्राम में बैठक हुई। 
इसमें एनबीसीसी और सुरक्षा रीयल्टी द्वारा रविवार को सौंपी गई समाधान योजना पर चर्चा हुई। जेपी इन्फ्राटेक के अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) ने उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर सार्वजनिक क्षेत्र की एनबीसीसी और मुंबई की कंपनी सुरक्षा रीयल्टी से बोलियां जमा कराने को कहा था। यह तीसरे दौर की निविदा प्रक्रिया है। सूत्रों ने कहा कि एनबीसीसी और सुरक्षा रीयल्टी के वरिष्ठ अधिकारियों ने सीओसी के समक्ष प्रस्तुतीकरण दिया और अपनी समाधानइ योजना की मुख्य बातों को रखा। 
सूत्रों ने कहा कि ऋणदाता संभवत: दोनों बोलियां जमा कराने वाली कंपनियों से कुछ स्पष्टीकरण मांग सकते हैं। सीओसी की अगली बैठक नवंबर के अंतिम सप्ताह में संभवत: 28 नवंबर को हो सकती है। सूत्रों ने बताया कि स्पष्टीकरण और बातचीत के बाद एनबीसीसी और सुरक्षा रीयल्टी को अपनी अंतिम योजना सौंपने को कहा जा सकता है। मतदान की प्रक्रिया 10 दिसंबर से पहले हो सकती है। बैठक में मौजूद कुछ खरीदारों ने जेपी इन्फ्राटेक के फॉरेंसिक आडिट की मांग की ताकि कोष को इधर उधर करने का पता लग सके। 
सीओसी में 13 बैंकों और 23,000 फ्लैट खरीदारों के पास मतदान का अधिकार है। खरीदारों के पास 60 प्रतिशत मत हैं। बोलियों को मंजूरी के लिए कम से कम 66 प्रतिशत मतों की जरूरत है। बैंकों का करीब 9,800 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने को एनबीसीसी ने 5,000 करोड़ रुपये की 1,426 एकड़ जमीन जमीन, 858 एकड़ जमीन का करीब 75 प्रतिशत जेपी इन्फाटेक को स्थानांतरित करने और 3,000 बेनामी या बिना दावे वाले फ्लैटों की बिक्री से प्राप्त 50 प्रतिशत राशि की पेशकश की है। 
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ने नोएडा को आगरा से जोड़ने वाले यमुना एक्सप्रेसवे को ऋणदाताओं को स्थानांतरित करने का प्रस्ताव किया है। एनबीसीसी चाहती है कि इससे पहले वह एक्सप्रेस वे के नाम पर करीब 2,500 करोड़ रुपये का कर्ज जुटाए जिससे अगले चार साल में 20,000 फ्लैटों का निर्माण पूर कर उन्हें उपभोक्ताओं को सौंपा जा सके। इस बीच, सुरक्षा रीयल्टी ने 7,857 करोड़ रुपये की 1,934 एकड़ जमीन ऋणदाताओं को देने की पेशकश की है। कंपनी ने अगले तीन साल में निर्माण पूरा करने के लिए 2,000 करोड़ रुपये की कार्यशील पूंजी लाने तथा यमुना एक्सप्रेसवे को अपने पास ही रखने की पेशकश की है।

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