नई दिल्ली : सरकार ने शुक्रवार को राज्य सभा में कहा कि 10 बार चुनाव से पहले कुछ राज्य सरकारों ने किसानों की ऋण माफी योजना की घोषणा की है। कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि ऋण माफी योजना को लागू करना राज्यों पर निर्भर करता है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और पंजाब राज्य सरकारों ने किसानों की ऋण माफी योजना की घोषणा की थी।
मध्य प्रदेश में 80 लाख किसान हैं जिनमें से मुख्यमंत्री फसल ऋण माफी योजना 2018-19 के तहत 20 लाख 23 हजार किसानों के 71.54 करोड़ रुपये के कर्ज माफ किये गये हैं। पंजाब में 34 लाख किसान हैं जिनमें से पांच लाख 55 हजार किसानों के 4501.04 करोड़ रुपये के ऋण माफ किये गये हैं। राजस्थान के 79 लाख किसानों में से 20 लाख किसानों की 7361.76 करोड़ रुपये कर्ज माफी हुई है। यह माफी राजस्थान कृषक ऋण माफी योजना 2019 के तहत की गयी है।
श्री चौधरी ने कहा कि चुनाव से पहले ऋण माफी की घोषणा किसानों के साथ छलावा जैसा है। उन्होंने कहा कि सरकार 2022 तक किसानों की आय को दोगुनी करना चाहती है। सरकार चाहती है कि किसान आर्थिक रूप से इतना मजबूत हो कि वह दूसरे को ऋण दे। किसान जीवनभर कर्ज में न रहे।
किसानों को फसलों के लिए कर्ज सात प्रतिशत ब्याज पर दिया जा रहा है, यदि किसान समय पर कर्ज का भुगतान करते हैं तो उसमें तीन प्रतिशत की कमी की जाती है। आपदा की स्थिति में ब्याज की राशि में दो प्रतिशत की और कमी की जाती है। कुछ राज्यों किसानों से फसली ऋण पर ब्याज नहीं लिया जाता है। कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि आम तौर यह समझा जाता है कि ऋण माफी से किसान खुश हो जायेंगे लेकिन किसान इस योजना के लागू किये जाने से खुशहाल नहीं हुए हैं।
ऋण माफी की घोषणा राज्य सरकारें करती हैं और इसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी भी उनकी ही है। सरकार किसानों को आर्थिक मदद और उनके फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य दे रही है। श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 7.5 करोड़ किसानों को राशि का भुगतान किया गया है। इनमें से पांच करोड़ किसानों को इस योजना के तहत आधार से जोड़ा गया है।