नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि बिजली समेत विभिन्न क्षेत्रों को कोयले की आपूर्ति बढ़ी है और पिछले चार साल में उत्पादन में 10 करोड़ टन से अधिक की वृद्धि हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि हाल में कोयले की मांग में तीव्र वृद्धि हुई है और इससे यह यह लग रहा है कि ईंधन की कमी है। उन्होंने कोयले की अपर्याप्त आपूर्ति की चिंता के बीच यह बात कही। कोयला तथा रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी सभाल रहे गोयल ने जोर देकर कहा कि दोनों मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के लिये साथ मिलकर काम कर रहे हैं कि ईंधन की कमी से कोई बिजलीधर बंद नहीं हो। पिछले महीने दिल्ली सरकार ने केंद्र से राष्ट्रीय राजधानी में बिजलीघरों को कोयला की आपूर्ति बढ़ाने का आग्रह किया था।
उसका कहना था कि दिल्ली और आसपास के बिजलीघरों में कोयले का भंडार चिंताजनक स्तर तक पहुंच गया है। गोयल ने यहां कहा कि पिछले आठ-नौ महीनों से कोयले की मांग तेजी से बढ़ रही है। इससे तथाकथित रूप से ऐसा लग रहा है कोयले की कमी है। लेकिन कोयला तथा रेल मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के लिये साथ मिलकर काम कर रहा है कि किसी भी समय कोई भी कोयले की कमी के कारण बिजली उत्पादन करने में असक्षम नहीं हो। केंद्र में भाजपा सरकार के पांच साल पूरे हाने के मौके पर वह मीडिया से बातचीत कर रहे थे। कोयले की मांग में वृद्धि को देखते हुए कोल इंडिया लि. ने व्यापक रूप से ईंधन का उत्पादन बढ़ाया है।
मंत्री ने कहा कि 31 मार्च 2017 को 6.8 या 6.9 करोड़ टन कोयले का भंडर था। उस स्तर हम इस बात को लेकर चिंतित थे कि कहीं आग लग जाए तो इससे काफी नुकसान होगा। उसके बाद मांग में वृद्धि हुई और इस बढ़ी हुई मांग को उत्पादन में वृद्धि तथा अधिक खेप भेजकर पूरा किया जा रहा है। उन्होंने चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीने में कोयले के उत्पादन में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। रेलवे ने भी ईंधन परिवहन क्षमता में वृद्धि की है। वित्त वर्ष 2013-14 में कोयले का उत्पादन 46.2 करोड़ टन था जो 2017-18 में बढ़कर 56.7 करोड़ टन हो गया। मंत्री ने कहा कि जो काम सात – आठ साल में होते थे, वह चार साल में हुआ। इस गति से हम कोयले का उत्पादन करने में कामयाब हुए है।
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