नई दिल्ली : आनलाइन उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिए केंद्र ने अब से ई-कामर्स कंपनियों के लिए उनके द्वारा बेचे जाने वाले सभी उत्पादों पर अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) का उल्लेख करना अनिवार्य कर दिया है। इसके अलावा ई-कामर्स कंपनियों को उत्पादों पर अन्य सूचनाओं मसलन मियाद समाप्त होने की तारीख (एक्सपायरी डेट) और कस्टमर केयर का भी ब्योरा देना होगा।
इसके लिए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने विधि मापिकी (पैकेटबंद सामग्री) नियम में जून, २०१७ में संशोधन किया था। कंपनियों को इस नए नियम के अनुपालन के लिए छह महीने का समय दिया गया था। मंत्रालय ने बयान में कहा कि विधि मापिकी (पैकेटबंद सामग्री) नियम, २०११ में संशोधन उपभोक्ताओं के हित तथा कारोबार सुगमता के लिए किया गया है। यह १ जनवरी, २०१८ से लागू हो गया है। संशोधनों के तहत विक्रेता द्वारा ई-कामर्स प्लेटफार्म पर बेचे जाने वाले सामान पर नियमों के तहत ब्योरा देना होगा। एमआरपी के अलावा कंपनियों को विनिर्माण की तारीख, एक्सपायरी डेट, शुद्ध मात्रा, देश और कस्टमर केयर का ब्योरा देना होगा।
मंत्रालय ने कहा कि इस घोषणा के लिए छापे जाने वाले शब्दों और अंकों का आकार बढ़ाया गया है, जिससे उपभोक्ताओं को उन्हें पढ़ने में आसानी हो। कोई भी व्यक्ति एक जैसे पैकेटबंद सामान के लिए अलग-अलग एमआरपी की घोषणा नहीं कर सकता। इसके अलावा सरकार ने शुद्ध मात्रा की जांच को अधिक वैज्ञानिक बनाया है। वहीं बारकोड-क्यूआर कोडिंग की अनुमति स्वैच्छिक आधार पर दी गई है। मंत्रालय ने कहा कि ऐसे चिकित्सा उपकरण जिन्हें दवाई के रूप में माना गया है उन्हें भी इन नियमों के दायरे में लाया गया है।
अभी तक आनलाइन बेचे जाने वाले सामान पर सिर्फ एमआरपी की छपा होता था। मंत्रालय को आनलाइन बेचे जाने वाले उत्पादों के पैकेट पर समुचित सूचनाएं नहीं होने की काफी शिकायतें मिली थीं, जिसके मद्देनजर यह कदम उठाया गया है। देश में परिचालन कर रही प्रमुख ई-कामर्स कंपनियों में फ्लिपकार्ट, अमेजन इंडिया, स्नैपडील, ग्रोफर्स और बिगबास्केट शामिल हैं।
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