विवाद से विश्वास’ योजना के तहत प्रत्यक्ष करों में मुकदमेबाजी को कम करने का प्रस्ताव किया गया है। यह योजना 30 जून, 2020 तक जारी रहेगी, जिसके तहत फेसलेस अपीलों के तहत विवाद का निपटारा किया जाएगा।
इसमें व्यक्तिगत उपस्थिति को समाप्त करने का प्रस्ताव है और सीबीडीटी एक करदाता चार्टर को अपनाएगा। इस संबंध में विवरणों को जल्द ही अधिसूचित किया जाएगा।
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को संसद में वित्त वर्ष 2020-21 का केन्द्रीय बजट पेश करते हुए ‘विवाद से विश्वास’ योजना का प्रस्ताव दिया है, जिसका उद्देश्य प्रत्यक्ष कर भुगतानों में मुकदमेबाजी को कम करना है। वित्तमंत्री ने कहा कि ऐसे करदाता जिनके मामले किसी भी स्तर पर लंबित हैं, उन्हें इस योजना से लाभ मिल सकता है।
वित्तमंत्री ने कहा कि योजना के तहत एक करदाता को केवल विवादित करों की राशि का भुगतान करने की आवश्यकता है और उसे ब्याज और दंड से भी पूर्ण माफी मिलेगी बशर्ते वह इसका भुगतान 31 मार्च, 2020 तक कर दे। उन्होंने कहा कि 31 मार्च, 2020 के पश्चात इस योजना का लाभ उठाने वाले करदाताओं को कुछ अतिरिक्त राशि का भुगतान करना होगा। यह योजना 30 जून, 2020 तक जारी रहेगी। सीतारमण ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि करदाता इस अवसर का उपयोग मुकदमें की कष्टदायक प्रक्रिया से राहत पाने के लिए करेंगे।
वित्तमंत्री ने कहा कि विभिन्न अपीलीय मंचों अर्थात आयुक्त (अपील) आईटीएटी, उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में प्रत्यक्ष कर संबंधी 4,83,000 मामले लंबित हैं। उन्होंने कहा कि अप्रत्यक्ष करों में मुकदमेबाजी को कम करने के लिए पिछले बजट में सबका विश्वास योजना लाई गई थी और इसके परिणामस्वरूप 1,89,000 मामलों का समाधान निकाला गया।
आयकर विभाग की सुपुर्दगी प्रणाली की दक्षता को बढ़ाने के उद्देश्य से वित्त मंत्री ने करदाता चार्टर को अपनाने के लिए केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड- सीबीडीटी के अंतर्गत आयकर अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव दिया है।
उन्होंने कहा कि इस चार्टर का विस्तृत विवरण शीघ्र की अधिसूचित किया जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी कर प्रणाली में करदाताओं और प्रशासन के बीच विश्वास की आवश्यकता होती है और यह तभी संभव होगा, जब करदाताओं के अधिकार की स्पष्ट रूप से गणना की जाए।