नई दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मध्यम वर्ग को आम बजट में कोई बड़ी राहत नहीं दिए जाने का बचाव करते हुए कहा कि सरकार पहले के बजटों में इस वर्ग के लिए अनेक कदम उठा चुकी है। उन्होंने का कहा कि राजकोषीय गुंजाइश होने पर भविष्य में और राहत दी जा सकती है। बजट बाद आयोजित कार्यक्रम में जेटली ने कहा कि अनुपालन के लिहाज से भारत के समक्ष गंभीर चुनौतियां हैं। भारत के लिए एक गंभीर चुनौती कर आधार बढ़ाने की है। इस लिहाज से अगर आप मेरे पिछले 4-5 बजटों को देखेंगे तो, मैंने व्यवस्थित तरीके से छोटे करदाताओं को लगभग हर बजट में राहत प्रदान की।
पूर्व में घोषित प्रमुख घोषणाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब यह सरकार सत्ता में आई तो वेतनभोगियों के लिये छूट सीमा दो लाख रुपये बढ़ाकर ढाई लाख रुपये की गई। बचत पर 50,000 रुपये की अतिरिक्त छूट दी गई जिससे यह छूट एक लाख से बढ़कर 1.5 लाख रुपये हो गई तथा आवास ऋण वापसी पर ब्याज भुगतान के लिए 50,000 रुपये की अतिरिक्त छूट के साथ इसे बढ़ाकर दो लाख रुपये कर दिया गया। डाक्टरों, वकीलों जैसे पेशेवरों के मामले में उन्होंने कहा कि सरकार ने 50 लाख रुपये तक की आय वालों के लिए कराधान को काफी सरल बनाया है।
उन्होंने कहा कि इस तरह के करदाताओं के मामले में अनुमानित कर योजना के तहत उनकी 50 प्रतिशत आय पर ही कर लगाया जाता है जबकि बाकी 50 प्रतिशत को उनका खर्च माना जाता है। दो करोड़ रुपये तक के कारोबार वाले व्यापारियों के संबंध में उन्होंने कहा कि उनकी छह प्रतिशत को ही आय मानकर उसी हिस्से पर कर लगाया जाता है। जेटली ने कहा कि पिछले साल ही सरकार ने पांच लाख रुपये तक की व्यक्तिगत सालाना आय पर कर की दर को 10 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया। जेटली ने कहा कि बुनियादी ढांचा खड़ा करने, सीमा की सुरक्षा तथा सामाजिक सुरक्षा जैसे कार्येां के लिए संसाधनों की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि यह कहते हुये कि करदाताओं की संख्या कम की जा रही है।
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