वित्त मंत्रालय ने बताया कि जीएसटी क्षतिपूर्ति के तहत राज्यों को अब तक 42,000 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। यह धनराशि सात किस्तों में जारी की गई है। सातवीं किस्त के रूप में सोमवार को 23 राज्यों व तीन केंद्र-शासित प्रदेशों के लिए 6,000 करोड़ रुपये जारी किए गए। इसमें से राज्यों के खातों में 5,516.60 करोड़ और केंद्र-शासित प्रदेशों दिल्ली, जम्मू-कश्मीर व पुडुचेरी को 483.40 करोड़ रुपये मिले।
अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस महामारी के कारण काफी बुरा असर पड़ा है। इसके कारण लगाये गए लॉकडाउन की वजह से आर्थिक गतिविधियां प्राभावित हुई, जिससे केन्द्र और राज्यों के राजस्व संग्रह में काफी कमी आई है। केंद्र सरकार ने जीएसटी लागू होने की वजह से अक्टूबर, 2020 में राज्यों के राजस्व में चालू वित्त वर्ष के दौरान 1.10 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित कमी की भरपाई के लिए एक विशेष ऋण सुविधा शुरू की थी।
केंद्र सरकार द्वारा इस सुविधा के तहत राज्यों और संघ शासित प्रदेशों की ओर से कर्ज लेकर उन्हें उपलब्ध करा रही है। केंद्र इस सुविधा के तहत अब तक सात किस्त में कर्ज ले चुका है। कर्ज वाली राशि को राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को 23 अक्टूबर, दो नवंबर, नौ नवंबर, 23 नवंबर, एक दिसंबर, सात दिसंबर और 14 दिसंबर, 2020 को जारी किया गया है।
मंत्रालय ने कहा कि इस सप्ताह जारी राशि ऐसे कोष की सातवीं किस्त है। इस सप्ताह लिया गया कर्ज 5.1348 प्रतिशत की ब्याज दर पर है। अब तक सरकार इस विशेष सुविधा के जरिये औसतन 4.7712 प्रतिशत की ब्याज दर पर 42,000 करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है। इस सुविधा के अलावा सरकार ने राज्यों को उनके सकल राज्य घरेलू उतपाद (जीएसडीपी) का 0.50 प्रतिशत तक अतिरिक्त उधार लेने की भी अनुमति दी है। यह अनुमति उन राज्यों को मिली है जिन्होंने जीएसटी क्षतिपूर्ति को पूरा करने के लिये केन्द्र द्वारा पेश किए गए पहले विकल्प को चुना है।
अब कंपनियां अपने आपूर्तिकर्ता से जीएसटीएन पोर्टल पर बिल अपलोड करने या अन्य किसी प्रकार की कमी के बारे में बता सकते हैं। इसके अलावा आपूर्तिकर्ता इस सुविधा के जरिये अपने आपूर्तिकर्ता को जवाब भेज सकते हैं। इसी प्रकार, आपूर्तिकर्ता, संबंधित प्राप्तकर्ता को भी किसी दस्तावेज को आपूर्ति ब्योरा में अपलोड करने के बारे में सूचना भेज सकता है जिसे जीएसटीआर-1 में भरा गया है।
जीएसटीएन ने कहा कि जब कभी कोई सूचना करदाता दूसरे करदाता को भेजेगा, जीएसटीएन भी ई-मेल और मोबाइल फोन पर एसएमएस के जरिये उसकी जानकारी देगा। इस सुविधा से बिलों के मिलान में करदाताओ को मदद मिलने की उम्मीद है।