मुंबई: जिंस खासकर कच्चे तेल के दाम में वृद्धि से चालू खाते का घाटा (सीएडी) मौजूदा वित्त वर्ष की समाप्ति पर 39 अरब डॉलर यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.5 प्रतिशत तक पहुंच जाने का अनुमान है। कच्चे तेल का भाव पिछले सप्ताह लगभग तीन साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया है। पिछले वित्त वर्ष 2016-17 में सीएडी 0.7 प्रतिशत था। घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा ने सितंबर में सीएडी के जीडीपी का 1.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था।
देश से वस्तुओं, सेवाओं के निर्यात और विदेशों से भेजे जाने वाली विदेशी मुद्रा प्रवाह और दूसरी तरफ इसी मद में आयात पर खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा के अंतर को चालू खाते का घाटा कहा जाता है। निर्यात के मुकाबले आयात पर अधिक खर्च होने पर यह घाटा होता है। वस्तु व्यापार का घाटा बढ़ने से सीएडी दिसंबर तिमाही में 12 से 15 अरब डालर या जीडीपी का 2 से 2.3 प्रतिशत हो सकता है।
हालांकि, मौसमी कारणों से मार्च तिमाही में चालू खाते के घाटे में कमी आएगी और यह 5 अरब डालर के नीचे आ जाएगा। इससे पूरे साल चालू खाते का घाटा 39 अरब डालर यानी जीडीपी का 1.5 प्रतिशत रहेगा। इस वित्त वर्ष में अब तक देश में चालू खाते का घाटा पहली तिमाही में 2.4 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 1.2 प्रतिशत रहा।
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