नई दिल्ली : आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा है कि व्यापार तनाव और तेल के बढ़ते दाम उभरते देशों की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में जी-20 देशों को विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर वैश्विक जोखिम के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिये समन्वित प्रयास करने की जरूरत है। वित्त मंत्रालय के बयान के अनुसार जी-20 वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर की इंडोनेशिया के बाली में शुरू हुई बैठक के दौरान गर्ग ने अर्जेन्टीना की अध्यक्षता में बुनियादी ढांचा को संपत्ति के रूप में विकसित करने की दिशा में हुई प्रगति की सराहना की।
दो दिवसीय बैठक 11 अक्टूबर को शुरू हुई है। सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि व्यापार तनाव, वित्तीय समस्याएं और तेल के दाम से जुड़े जोखिम का प्रभाव पड़ा है और इसका सर्वाधिक असर उभरती अर्थव्यवस्था पर हुआ है। बयान के अनुसार बैठक में अफ्रीका के साथ गठजोड़ के साथ वित्तीय समावेश के लिये वैश्विक भागीदारी को दुरूस्त करने पर केंद्रित रही। उन्होंने बुनियादी ढांचा खंड में निजी कोष आकर्षित करने के लिये वैश्विक मानकों तथा रूपरेखा के विकास के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने उम्मीद जतायी कि जी-20 का बुनियादी ढांचा एजेंडा इस दिशा में योगदान दे सकता है।
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सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि भारत ने बुनियादी ढांचा वित्त पोषण खंड में निजी कंपनियों को आकर्षित करने के लिये कई कदम उठाये हैं। इसमें रीयल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट फंड, इंफ्रास्ट्रक्चर डेट फंड के साथ पुरानी संपत्ति के मौद्रीकरण करने जैसे उपाय शामिल हैं।अफ्रीका के साथ संबंधों के बारे में गर्ग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा महाद्वीप के लिये 10 अरब डालर की सस्ता कर्ज सुविधा की घोषणा को रेखांकित किया। बैठक में जिन मुख्य मुद्दों पर चर्चा हुई, उसमें नव विकास बैंक (एनडीबी) की सदस्यता का विस्तार, एनडीबी की चुकता पूंजी के भुगतान कार्यक्रम, ब्रिक्स पीपीपी कार्यबल के कार्य तथा ब्रिक्स रेटिंग एजेंसी के विकास की संभावना पर सहमति शामिल हैं।